ओडिशा के समुद्री तट पर स्थित चांदीपुर मिसाइल परीक्षण रेंज एक बार फिर सुर्खियों में है। देश की प्रमुख रक्षा संस्था DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) ने हाल ही में एक आपात बैठक बुलाई, जिसमें रेंज की सुरक्षा और वहां चल रही गतिविधियों की गहन समीक्षा की गई। खुफिया एजेंसियों द्वारा संभावित सुरक्षा जोखिमों को देखते हुए DRDO ने यह बैठक आयोजित की, जिससे क्षेत्र में किसी भी तरह की अप्रिय घटना से निपटा जा सके।
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बताया जा रहा है कि बैठक में DRDO के शीर्ष वैज्ञानिकों, रक्षा विशेषज्ञों, और सुरक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त करने के निर्देश दिए गए हैं। चांदीपुर रेंज, जहां अक्सर भारत की रणनीतिक मिसाइलों का परीक्षण किया जाता है, हमेशा से संवेदनशील क्षेत्र रहा है। यहां से अग्नि, पृथ्वी, आकाश जैसी कई महत्वपूर्ण मिसाइलों का परीक्षण किया जा चुका है।
सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में रेंज के आसपास संदिग्ध गतिविधियां देखी गईं, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया। साथ ही, क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक निगरानी को बढ़ाया गया है और सुरक्षाबलों की अतिरिक्त तैनाती की गई है। DRDO के अनुसार, “हम हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं और देश की सुरक्षा में कोई समझौता नहीं किया जाएगा।”
भारत की रक्षा नीति में चांदीपुर की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। यहां से होने वाले परीक्षण भारत की सैन्य ताकत को वैश्विक मंच पर स्थापित करते हैं। इसीलिए इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना राष्ट्रीय प्राथमिकता है। वर्तमान में DRDO विभिन्न मिसाइल कार्यक्रमों पर काम कर रहा है, और निकट भविष्य में यहां कई परीक्षण किए जाने की संभावना है।
स्थानीय प्रशासन और पुलिस को भी अलर्ट मोड पर रखा गया है। सभी प्रवेश मार्गों की निगरानी बढ़ा दी गई है और रेंज के चारों ओर नो-फ्लाई ज़ोन घोषित किया गया है। साथ ही, रेंज के कर्मचारियों की भी सुरक्षा प्रशिक्षण और पहचान प्रक्रिया दोबारा शुरू की गई है।
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यह आपात बैठक न केवल सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा थी, बल्कि यह एक स्पष्ट संकेत है कि भारत अपनी रक्षा संरचना को लेकर अत्यंत सजग है। देश की सैन्य गोपनीयता बनाए रखना DRDO की सर्वोच्च प्राथमिकता है, और इसके लिए हर जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।