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  3. रामबन तबाही पर उमर अब्दुल्ला का बयान: “भूस्खलन को प्राकृतिक आपदा कह कर छोड़ना अन्याय, लचर योजनाओं से बढ़ी त्रासदी”

रामबन तबाही पर उमर अब्दुल्ला का बयान: “भूस्खलन को प्राकृतिक आपदा कह कर छोड़ना अन्याय, लचर योजनाओं से बढ़ी त्रासदी”

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1. पृष्ठभूमि: रामबन भूस्खलन क्यों सुर्खियों में?

रामबन‑बनिहाल खंड (NH‑44) पर पिछले हफ्ते हुए भूस्खलन ने हाईवे यातायात ठप, कई श्रमिकों की मौत, और सैकड़ों यात्रियों को फँसा दिया। स्लाइड ज़ोन पहले से “बहुत संवेदनशील” घोषित है, फिर भी चौड़ीकरण कार्य तेज रफ्तार ब्लास्टिंग के साथ जारी रहा।

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2. उमर अब्दुल्ला ने क्या कहा?

3. केंद्र सरकार की भूमिका पर टिप्पणी

अब्दुल्ला ने कहा, “केंद्र ने ‘आठ घंटे श्रीनगर‑जम्मू’ का लक्ष्य रखा—अच्छा है—लेकिन सुरक्षा प्रोटोकॉल की अनदेखी परियोजना को ख़तरा बना रही है। विकास और सुरक्षा साथ‑साथ चलें, वरना हाईवे ‘लाइफ़लाइन’ के बजाय ‘जोखिम‑लाइन’ बन जाएगा।”

4. नेशनल कॉन्फ़्रेंस का राहत अभियान

5. विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

भू‑वैज्ञानिकों के मुताबिक रामबन‑बनिहाल कटाव क्षेत्र में—

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उमर अब्दुल्ला ने इन्हीं वैज्ञानिक बिंदुओं को दोहराते हुए कहा कि “हजारों करोड़ के इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश के बावजूद सुरक्षा इंजीनियरिंग में कंजूसी नहीं होनी चाहिए।”

6. आगे का रास्ता—अब्दुल्ला की पाँच सिफ़ारिशें

  1. स्लाइड जॉन्स रियल‑टाइम मॉनिटरिंग— भूस्खलन सेंसर, डॉप्लर रडार, और ड्रोन सर्वे अनिवार्य।

  2. कॉन्ट्रैक्टर Liabilities— सुरक्षा दिशानिर्देश उल्लंघन पर ब्लैक‑लिस्टिंग और भारी जुर्माना।

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  3. स्थायी रिटेनिंग वास्तु— रॉक‑बोल्ट, शॉट‑क्रीट, रोप‑नेटिंग व्यापक रूप से लागू हों।

  4. पुनर्वास और इंश्योरेंस— घाटी‑निवासियों और हाइवे मजदूरों के लिए जोखिम बीमा।

  5. ब्लॉक ट्रेनिंग— BRO/बीकन इंजीनियरों को ग्लोबल लैंडस्लाइड मैनेजमेंट कोर्स की ट्रेनिंग।

7. राजनीतिक समीकरण

रामबन त्रासदी पर उमर अब्दुल्ला के मुखर बयान से—

8. निष्कर्ष

रामबन की तबाही ने फिर सावित किया कि पहाड़ी राज्यों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और पर्यावरणीय सुरक्षा को अलग नहीं किया जा सकता। उमर अब्दुल्ला का बयान केवल राजनीतिक टिप्पणी नहीं, बल्कि सुरक्षा‑इंजीनियरिंग की अनदेखी पर एक चेतावनी है। अगर अनुशासित भू‑प्रबंधन अब भी प्राथमिकता नहीं बना, तो ऐसी त्रासदियाँ दोहराती रहेंगी।

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