भारत और पाकिस्तान के बाद अब ईरान-इजराइल! क्या आप भी सोच रहे हैं कि 12 दिन के इस युद्ध में असली विजेता कौन बना? नेतन्याहू, खामेनेई या फिर वो “अंकल सैम” जिसने दोनों को झुकने पर मजबूर कर दिया? चलिए, आज के इस विश्लेषण में हर पहलू पर गौर करते हैं।
पढ़ें :- मिग-21: भारतीय आसमान का शेर, जिसने दुश्मनों को कांपने पर मजबूर किया, अब इतिहास का हिस्सा
युद्ध की शुरुआत: क्यों टारगेट हुआ ईरान?
13 जून को इजराइल ने ऑपरेशन राइजिंग लाइन लॉन्च किया। उसका दावा:
- ईरान के 20 मिलिट्री कमांडर्स और 14 साइंटिस्ट्स “न्यूट्रलाइज”।
- वजह? इजराइल का डर कि ईरान जल्द ही न्यूक्लियर बम बना लेगा और उस पर हमला करेगा।
- नेतन्याहू का बयान: “ईरान के पास इतना यूरेनियम फ्यूल है कि वो कभी भी बम बना सकता है!”
लेकिन हैरानी की बात: नेतन्याहू पिछले 30 साल से यही दावा करते आ रहे हैं! 1996, 2002, 2012… हर बार वो कहते रहे: “कुछ महीनों में ईरान बम बना लेगा!” पर आज तक ऐसा हुआ नहीं। क्या यह सिर्फ हमले का बहाना था?
पढ़ें :- लालू परिवार में फूट: रोहिणी आचार्य ने तेजस्वी सहित अन्य सदस्यों को किया अनफॉलो, राजनीतिक अटकलें तेज़
ईरान का जवाबी हमला: अमेरिकी बेस तक निशाने पर!
ईरान ने जवाब दिया धमाकेदार अंदाज़ में:
- इजराइल के शहरी इलाकों और सैन्य ठिकानों पर मिसाइल दागे।
- कतर और इराक में अमेरिकी एयरबेस को निशाना बनाया।
- संदेश साफ: “हम सीधे अमेरिका से भी टकराने से नहीं डरते!”
इस बीच, अमेरिका ने बी-2 बॉम्बर्स भेजकर ईरान के न्यूक्लियर साइट्स (फ़ोर्डो, नतंज, इसफ़हान) पर हमला किया। ट्रंप का दावा: “अब यहाँ 10 साल तक न्यूक्लियर प्रोग्राम नहीं चल पाएगा!”
पढ़ें :- दिल्ली छात्र संघ चुनाव में ABVP ने मारी बाज़ी: 4 में से 3 सीटों पर कब्जा, एक सीट NSUI को
सीजफायर का ड्रामा: ट्रंप की ‘विजय‘ या मजबूरी?
22 जून को अचानक युद्धविराम! कैसे?
- ट्रंप ने खुद मध्यस्थता की और दोनों देशों को बातचीत के लिए राजी किया।
- इजराइल कहता है: “हमने ईरान का न्यूक्लियर खतरा खत्म कर दिया!”
- ईरान कहता है: “हमने इजराइल को इतना मारा कि उसे सीजफायर माँगनी पड़ी!”
पर सच्चाई? दोनों का नुकसान हुआ, लेकिन ट्रंप ने क्रेडिट ले लिया! उन्होंने नाटो मीटिंग में घोषणा की: “मैंने भारत–पाक के बाद ईरान–इज़राइल युद्ध भी रुकवाया!”
भारत–पाकिस्तान से तुलना: एक जैसी ‘विजय‘?
- 2019 का ऑपरेशन सिद्धूर: भारत ने बालाकोट में स्ट्राइक की, पाकिस्तान ने जवाब दिया। अंत? सीजफायर हुई, लेकिन विजेता ट्रंप बने!
- 2024 का ईरान-इजराइल युद्ध: दोनों अपने-अपने “विजय” के दावे कर रहे, पर असली विजेता अमेरिका दिख रहा है।
पढ़ें :- PM मोदी @75: सेवा, समर्पण और संकल्प को राज्यों के सीएम का सलाम
तो फिर विजेता कौन? 3 दावेदारों का सच!
- इजराइल: न्यूक्लियर साइट्स नष्ट करने में “सफल”, पर ख़ामेनेई सत्ता में अब भी कायम।
- ईरान: इजराइल और अमेरिका को सीधे चुनौती देकर “मोरल विक्टरी” का दावा, पर आर्थिक नुकसान भारी।
- अमेरिका (ट्रंप): बिना सीधे युद्ध में उतरे, मध्यस्थ बनकर वैश्विक छवि मजबूत की। साथ ही, ईरान को चेतावनी: “बदला लेने की कोशिश तबाही लाएगी!”
निष्कर्ष: किसने जीता, किसने खोया?
- ईरान और इजराइल दोनों युद्ध रोकने में राहत महसूस कर रहे।
- पर असली फ़ायदा ट्रंप को हुआ: अमेरिकी चुनावों से पहले उन्होंने खुद को “वैश्विक शांतिदूत” साबित किया।
- भारत के लिए सबक: ग्लोबल पॉलिटिक्स में तीसरे खिलाड़ी का दखल हमेशा निर्णायक होता है!