2016 में कांग्रेस पार्टी की सरकार को गिराने का काम किया था वो पार्टी के कभी सगे नहीं हो सकते.
Updated Date
उत्तराखंड, 13 अक्टूबर – अगले साल 2022 में देश के कुल पांच राज्यों में विधानसभा का चुनाव होना है. इन पाँच राज्यों में देवभूमि उत्तराखंड भी शामिल है. लिहाज़ा चुनाव से पहले उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बागी नेताओं को लेकर एक बयान दिया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि कांग्रेस पार्टी में पुनः शामिल होने वाले नेताओं को अपने पाप का प्रायश्चित करना होगा. उनका कहना है कि पार्टी के साथ धोखा करने वाले नेता कभी पार्टी के सगे नहीं हो सकते.
बगावत करने वाले नेता महापापी
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कांग्रेस से बगावत कर पार्टी का साथ छोड़ने वाले नेताओं को नसीहत देते हुए उन्हें ‘महापापी’ बताया है. हरीश रावत ने कहा है कि जिन महापापी लोगों ने 2016 में कांग्रेस पार्टी की सरकार को गिराने का काम किया था वो पार्टी के कभी सगे नहीं हो सकते. उन्होंने आगे कहा कि ऐसे लोग जब तक सार्वजानिक रूप से अपनी गलती को स्वीकार नहीं कर लेते और माफ़ी नहीं मांग लेते तब तक वो उन नेताओं को कांग्रेस पार्टी में वापस लेने के पक्ष में नहीं हैं.
पार्टी के साथ बगावत करने वाले नेता महापापी हैं. उन्होंने आगे कहा कि अगर पार्टी छोड़ किसी अन्य पार्टी में गए नेता कांग्रेस में पुनः वापसी करना चाहते हैं तो उन्हें अपने पापों का प्रायश्चित करना होगा. हरीश रावत के मुताबिक पार्टी ज्वाइन करने वाले नेताओं को अपना पाप स्वीकार करना होगा जिसके बाद उन्हें कांग्रेस पार्टी में दुबारा जगह मिलेगी.
जोर तोड़ की राजनीती
बहरहाल चुनावी सरगर्मी के बीच इन दिनों नेताओं के पार्टी छोड़ आने जाने का सिलसिला भी तेज होती नज़र आ रही है. हाल ही में उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेटे नैनीताल विधानसभा सीट से विधायक संजीव आर्य ने भाजपा का दामन छोड़ कांग्रेस पार्टी का हाथ थाम लिया है. हालाँकि यशपाल आर्य पहले भी कांग्रेस पार्टी में रह चुके हैं उन्होंने 2017 में भाजपा ज्वाइन की थी.
जिसके बाद भाजपा की टिकट पर उन्होंने चुनाव जीता और बाद में सरकार में मंत्री भी बनाये गए. नेताओं के लगातार पार्टी छोड़ आने जाने के इस सिलसिले पर कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं ने भाजपा पर तंज भी कसा है. कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेताओं का कहना है कि भाजपा ने नेताओं को तोड़ने का काम शुरू किया था पर अब इस काम को अंजाम तक पहुंचाने का काम कांग्रेस पार्टी करेगी.
कई सियासी मायने
आपको बता दें कि हाल ही में यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य ने दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में भाजपा का साथ छोड़ कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है. ऐसे में इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि कई अन्य नेता भी कांग्रेस पार्टी में शामिल होने का मन बना रहे हैं. लिहाजा इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए हरीश रावत ने ये बयान दिया है. ऐसे नेता जिन्होंने 2016 में कांग्रेस पार्टी की सरकार को गिराने का काम किया था अब वो नेता फिर कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करने का मन बना रहे हैं तो उनके सामने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बाधा बनकर खड़े हो गए हैं.
बागी नेताओं को महापापी बता कर हरीश रावत ने इस ओर इशारा किया है कि वो बागी नेताओं से अब तक नाराज हैं. हालाँकि हरीश रावत कई अन्य नेताओं के पुनः पार्टी ज्वाइन करने के पक्ष में हैं. इस मामले में उनका कहना है कि कुछ नेता किसी के बहकावे में आ आकर पार्टी छोड़ दूसरे पार्टी में चले गए थे ऐसे लोग पार्टी में शामिल हो सकते हैं. परंतु हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल और विजय बहुगुणा जैसे नेताओं को किसी भी हालत में कांग्रेस में वापसी के पक्ष में नहीं हैं.
हरक सिंह रावत का पलटवार
2016 में कांग्रेस पार्टी की सरकार को गिराने में सबसे आगे रहे हरक सिंह रावत ने हरीश रावत के महापापी वाले बयान पर पलटवार किया है. हरक सिंह रावत ने कहा है ‘2017 के चुनाव में जनता ने बता दिया था कि महापापी कौन है. आगे उन्होंने कहा कि अगर मैं और मेरे साथी महापापी थे तो जनता ने हमें क्यों दुबारा क्यों जिताया ? वहीं हरीश रावत जो आज जनता की दुहाई दे रहे हैं उन्हें जनता ने हराया क्यों ?
इस मामले में हरक सिंह रावत ने आगे कहा कि ‘2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान हरीश रावत ने जनता से ये तक अपील किया था कि जनता ऐसे लोग को सबक सीखाए जिन्होंने हरीश रावत का साथ छोड़ा. लेकिन उनके कहने के बाद भी उत्तराखंड की जनता ने उन्हें जिताने का काम किया और उन्हें हराने का. इस लिहाज़ से ये समझा जा सकता है कि महापापी कौन है ?
2016 का राजनीतिक घटनाक्रम
दरअसल वर्ष 2016 में अचानक उत्तराखंड में राजनीतिक हलचल बिगड़ने लगी थी. उस वक्त विजय बहुगुणा और हरक सिंह रावत की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी के कुल 9 विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था जिसके चलते उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार गिर गई थी. हालाँकि बाद में हरीश रावत ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और कोर्ट के आदेश के बाद उनकी सरकार फिर से बहाल हुई थी. इसके बाद वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की जबर्दस्त हार हुई और भाजपा ने अपनी सरकार बनाई. यहाँ तक कि खुद हरीश रावत ने दो जगहों से विधानसभा चुनाव लड़ा था पर वो दोनों जगह से चुनाव हार गए थे.
2022 में होना है चुनाव
अगले साल 2022 में देश के कुल पांच राज्यों में विधानसभा का चुनाव होना है. इन पाँच राज्यों में देवभूमि उत्तराखंड भी शामिल है. लिहाज़ा चुनाव को ध्यान में रखते हुए स्थानीय राजनीतिक पार्टियों के साथ कुछ एक आध नई पार्टियां भी चुनावी रण में कूद गई हैं. भाजपा, कांग्रेस के बाद आम आदमी पार्टी भी इस बार उत्तराखंड सहित उत्तर प्रदेश, पंजाब, और गोवा में भी चुनाव लड़ने का मन बना बैठी है. सिर्फ इतना ही नहीं पार्टी की तरफ से उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पद के दावेदार का नाम भी पार्टी ने घोषित कर दिया है. साथ ही पार्टी ने बड़े जोर-शोर से चुनावी अभियान भी तेज कर दी है.