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caste census: बिहार में होगी जातीय जनगणना, सीएम नीतीश कुमार का ऐलान, सर्वदलीय बैठक के बाद लिया जाएगा फैसला

इससे पहले कर्नाटक राज्य स्तर पर जातीय जनगणना करा चुका है। अब बिहार जातीय जनगणना कराने वाला देश का दूसरा राज्य बन जाएगा।

By इंडिया वॉइस 

Updated Date

पटना, 7 दिसंबर। जातीय जनगणना को लेकर बिहार सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार अब अपने खर्च पर प्रदेश में जातीय जनगणना कराएगी। इसका ऐलान सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया। जनता दरबार के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि इसकी तैयारी हो चुकी है।

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि बिहार सरकार पारदर्शी तरीके से जातीय जनगणना कराएगी। किसी भी तरह की इसमें कोई चूक नहीं की जाएगी। कई सियासी पार्टियों की जनगणना को लेकर सहमति मिली है। सरकार जल्द सर्वदलीय बैठक बुलाएगी। डिप्टी सीएम और अपनी पार्टी के सभी लोगों से बात की जा चुकी है। जल्द ही तारीख तय कर सर्वदलीय बैठक की जाएगी।

आपको बतादें कि इससे पहले कर्नाटक राज्य स्तर पर जातीय जनगणना करा चुका है। अब बिहार जातीय जनगणना कराने वाला देश का दूसरा राज्य बन जाएगा।

जनगणना में कोई चीज छुटेगी नहीं- नीतीश

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जनगणना के लिए सब लोगों की राय जरूरी है। जातीय जनगणना कैसे करानी है, कब और किस के जरिए से कराएंगे ये सब मीटिंग में सबसे राय लेकर तय किया जाएगा। सबकी सहमति से जो निष्कर्ष निकलेगा उसी के आधार पर आगे बढ़ेंगे। जातीय जनगणना बहुत बेहतर ढंग से कराई जाएगी ताकि कोई चीज छुट ना जाए।

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जनगणना की तेजस्वी यादव ने की थी दोबारा मांग

शीतकालीन सत्र में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश कुमार से मिलकर जातीय जनगणना कराने की मांग रखी थी। मुख्यमंत्री ने तेजस्वी को भरोसा दिया था कि जल्द जातीय जनगणना को लेकर ऑल पार्टी मीटिंग कर आखिरी फैसला लिया जाएगा। सोमवार को दिए बयान के बाद अब ये साफ हो गया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना को लेकर अपना लक्ष्य तय कर लिया है।

PM मोदी से जनगणना को लेकर मिले थे 10 पार्टी के नेता

जनगणना मामले को लेकर अगस्त में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सहित बिहार की 10 पार्टियों के नेताओं ने पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। सभी नेताओं ने 2021 की जनगणना में जातिगत गणना की मांग को लेकर प्रधानमंत्री से बातचीत की थी। वहीं बिहार में बीजेपी को छोड़कर बाकी सभी दल जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं। हालांकि वहीं केंद्र सरकार पहले ही जातीय जनगणना कराने को लेकर इनकार कर चुकी है।

आखिरी बार जातिगत जनगणना कब हुई थी?

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भारत में पहली बार सन 1881 में जनगणना हुई थी। तभी पहली बार हुई जनगणना में जातिगत जनगणना के आंकड़े भी जारी किए गए थे। तब से लेकर हर 10 साल पर जनगणना होती है। सन 1931 तक की जनगणना में जातिवार के आंकड़े भी जारी होते थे। सन 1941 की जनगणना में जातियों के आंकड़े जुटाए गए थे, लेकिन उन्हें जारी नहीं किया गया था। आजादी के बाद से सरकार ने सिर्फ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी का डेटा ही जारी करने का फैसला किया था। इसके बाद से बाकी दूसरी जातियों के आंकड़े कभी जारी नहीं किए गए।

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