Chandigarh में आतंकी हमले के खिलाफ उबाल, सड़कों पर उतरे लोग
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के खिलाफ अब देशभर में जनता का आक्रोश देखने को मिल रहा है। चंडीगढ़ में भी सैकड़ों की संख्या में आम लोग, सामाजिक संगठन और छात्र सड़कों पर उतरे और आतंकवाद के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। लोगों ने हाथों में तिरंगा, ‘आतंकवाद मुर्दाबाद’, ‘शहीदों को सलाम’ जैसे नारों वाले पोस्टर लिए हुए थे। यह प्रदर्शन सिर्फ एक राजनीतिक संदेश नहीं, बल्कि देश की एकजुटता और जागरूकता का प्रतीक बन गया।
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प्रदर्शनकारियों ने पहलगाम हमले की निंदा करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि आतंक के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी जाए। सिविल सोसाइटी से जुड़े लोगों ने कहा कि यह हमला केवल कुछ लोगों पर नहीं, बल्कि पूरे देश की सांप्रदायिक एकता और अखंडता पर हमला है। प्रदर्शन के दौरान कैंडल मार्च निकाला गया और शहीदों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।
युवाओं और छात्रों की बढ़ती भागीदारी
इस विरोध प्रदर्शन में युवाओं और छात्रों की भागीदारी विशेष रूप से देखने को मिली। कई विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्र अपने बैनरों के साथ पहुंचे और आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की। एक छात्र ने कहा, “अगर आज हम चुप रहे, तो कल फिर कोई हमला होगा। हमें एकजुट होकर आवाज़ उठानी ही होगी।” यह स्पष्ट संकेत है कि नई पीढ़ी अब केवल सोशल मीडिया तक सीमित नहीं, बल्कि जमीन पर उतरकर अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए तैयार है।
सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग
प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार और रक्षा मंत्रालय से अपील की कि आतंकियों और उनके समर्थकों को जल्द से जल्द सख्त सजा दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि अब केवल बयानबाज़ी नहीं, बल्कि कार्रवाई होनी चाहिए। कुछ प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि आतंकवाद से जुड़े मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जाए और दोषियों को जल्द सज़ा दी जाए।
राजनीतिक दलों ने किया समर्थन
इस प्रदर्शन को राजनीतिक समर्थन भी मिला, लेकिन प्रदर्शन पूरी तरह से गैर-राजनीतिक रखा गया। कांग्रेस, भाजपा, और आम आदमी पार्टी के कुछ स्थानीय नेताओं ने भी वहां पहुंचकर समर्थन दिया और सभी ने एक सुर में कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
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मीडिया की भूमिका सराहनीय
इस प्रदर्शन में स्थानीय मीडिया ने भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने प्रदर्शन को कवर कर जनता की आवाज़ को पूरे देश तक पहुंचाया। कई रिपोर्टर्स ने ज़मीन पर उतरकर लोगों की भावनाएं दिखाईं, जिससे यह विरोध आंदोलन और भी प्रभावी बन गया।