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दुष्प्रचार बनाम राफेल: भारत की रणनीतिक बढ़त का पर्दाफाश!

By HO BUREAU 

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दुष्प्रचार में उलझा राफेल!

मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन तक चला हवाई संघर्ष न केवल दक्षिण एशिया के सैन्य समीकरणों के लिए निर्णायक साबित हुआ, बल्कि इसने वैश्विक सूचना युद्ध के नए आयाम भी उजागर किए।

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इस संघर्ष में पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने पाँच भारतीय लड़ाकू विमान गिराए, जिनमें तीन राफेल शामिल थे। यह दावा जितना चौंकाने वाला था, उतना ही साक्ष्यविहीन भी।

भारतीय वायुसेना और फ्रांस के रक्षा मंत्रालय ने तुरंत ही तथ्यों के आधार पर स्पष्ट किया कि भारत ने केवल तीन विमान खोए — एक राफेल, एक सुखोई-30 और एक मिराज 2000 फ्रांसीसी वायुसेना प्रमुख जेरोम बेलांजे ने बयान दिया कि इस संघर्ष में राफेल ने पाकिस्तान के एफ-16 और जेएफ-17 विमानों को रोकने में निर्णायक भूमिका निभाई, और यह राफेल की पहली युद्ध क्षति अवश्य थी, लेकिन उसकी क्षमता पर कोई प्रश्न नहीं उठाया जा सकता।

दुष्प्रचार की सुनियोजित साज़िश

संघर्ष के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर नकली तस्वीरें, एआई जनित विजुअल्स और वीडियो गेम फुटेज को असली युद्ध का दृश्य बताकर फैलाया गया। यह प्रचार इतना व्यवस्थित था कि फ्रांस और भारत, दोनों देशों ने इसे एक सूचनायुद्ध अभियान करार दिया।

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फ्रांस के विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान और चीन की मिलीभगत से चलाए गए इस अभियान का उद्देश्य न केवल राफेल की छवि खराब करना था, बल्कि फ्रांस और भारत के रक्षा तकनीकी सहयोग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान पहुँचाना भी था।

कैसे रची गई साज़िश?

भारत और राफेल की साख पर असर नहीं

इन तमाम कोशिशों के बावजूद, राफेल की युद्धक क्षमता और भारत की सैन्य प्रतिष्ठा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। राफेल ने युद्धक्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता साबित की, और पाकिस्तानी विमानों को हर बार पीछे हटने पर मजबूर किया।

विशेषज्ञों का मानना है कि राफेल का प्रदर्शन भारत की वायुसेना की ताकत को बढ़ाता है और यह चीन-पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे दुष्प्रचार अभियानों का करारा जवाब है।

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा मजबूत

इस घटना के बाद फ्रांस और भारत के रक्षा संबंध पहले से अधिक गहरे हुए हैं। इंडोनेशिया, यूएई और मिस्र जैसे देशों ने न केवल अपने राफेल सौदे बरकरार रखे, बल्कि भारत की वायुसेना की युद्धक क्षमता की खुलकर सराहना भी की।

दक्षिण एशिया में भारत की सैन्य साख और कूटनीतिक पकड़ को यह संघर्ष और मजबूत कर गया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत अब न केवल सैन्य शक्ति के लिहाज से, बल्कि सूचना-रणनीति और साइबर-सुरक्षा के मोर्चे पर भी दक्षता प्राप्त कर चुका है।

निष्कर्ष: 21वीं सदी का युद्ध रणभूमि से जनमत तक

मई 2025 का यह संघर्ष इस सदी की युद्धनीति को स्पष्ट कर गया। आज केवल मिसाइल और लड़ाकू विमान ही निर्णायक नहीं, बल्कि सूचनायुद्ध, सोशल मीडिया, और वैश्विक जनमत भी समान रूप से अहम भूमिका निभाते हैं।

भारत ने इस लड़ाई के दोनों मोर्चों — रणभूमि और डिजिटल युद्ध — में दक्षता, संयम और रणनीति से विजय प्राप्त की।

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जहाँ पाकिस्तान और चीन की झूठ और फरेब की साजिशें उजागर हुईं, वहीं भारत ने सच्चाई और सामरिक कुशलता से अपनी छवि को और मजबूत किया।

“आज की दुनिया में जो सूचना-युद्ध में चूकता है, वही रणभूमि में भी पिछड़ता है। भारत ने इस संघर्ष से यह संदेश स्पष्ट कर दिया है कि सैन्य ताकत के साथसाथ सूचना और छवियुद्ध में भी वह हर मोर्चे पर सजग और सक्षम है।

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