DRDO ने ECWCS तकनीक 5 भारतीय कंपनियों को सौंपी, ये कपड़े सैनिकों को देंगे 15 से -50 डिग्री सेल्सियस के बीच थर्मल इंसुलेशन।
नई दिल्ली, 28 दिसंबर। ग्लेशियर और हिमालय की चोटियों पर तैनात भारतीय सैनिकों के लिए ठंडे मौसम के कपड़ों की जरूरत को देखते हुए विकसित की गई ECWCS तकनीक DRDO ने 5 भारतीय कंपनियों को सौंप दी है। देश की जरूरत को देखते हुए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने अत्यधिक ठंड के मौसम में वस्त्र प्रणाली ECWCS की तकनीक विकसित की है। अब इस तकनीक से सैनिकों के लिए भारत में ही ठंडे मौसम के कपड़ों का निर्माण किया जाएगा।
सेना को अत्यधिक ठंड के मौसम में वस्त्र प्रणाली ECWCS की जरूरत
सेना को अत्यधिक ठंड के मौसम में वस्त्र प्रणाली ECWCS की जरूरत होती है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के लिए अत्यधिक ठंडे मौसम के कपड़े और पर्वतारोहण उपकरण (SCME) वस्तुओं का आयात होता रहा है। DRDO के मुताबिक ये तीन स्तरीय तकनीक 15 से -50 डिग्री सेल्सियस के बीच थर्मल इंसुलेशन प्रदान करने के लिए डिजाइन की गई है। एर्गोनॉमिक रूप से डिजाइन किए गए मॉड्यूलर तकनीकी कपड़ों से हिमालयी क्षेत्रों की कई जलवायु परिस्थितियों में जरूरत के लिहाज से बेहतर थर्मल इन्सुलेशन और शारीरिक आराम मिलता है।
ECWCS तकनीक के फायदे
ECWCS तकनीक से बने कपड़े सांस की गर्मी, पानी की कमी, पसीने के तेजी से अवशोषण से संबंधित शारीरिक जरूरतों को पूरा करते हैं। इसके अलावा पर्याप्त सांस लेने की क्षमता और उन्नत इन्सुलेशन के साथ-साथ उच्च ऊंचाई पर सुविधाजनक हैं। 3 स्तरीय ECWCS को परतों के विभिन्न संयोजनों और शारीरिक कार्य की तीव्रता के साथ 15 से -50 डिग्री सेल्सियस के तापमान रेंज पर उपयुक्त रूप से थर्मल इन्सुलेशन प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। हिमालय की चोटियों में उतार-चढ़ाव वाले मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ये कपड़े मौजूदा जलवायु परिस्थितियों के लिए जरूरी इन्सुलेशन पूरा करते हैं।
भारतीय सेना की जरूरतें पूरी करने के लिए अभी तक इस तरह के कपड़ों का आयात किया जाता था। लेकिन अब DRDO ने अत्यधिक ठंड के मौसम में वस्त्र प्रणाली ECWCS की तकनीक विकसित कर ली है। DRDO के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने मंगलवार को नई दिल्ली में 5 भारतीय कंपनियों को स्वदेशी अत्यधिक ठंड के मौसम के कपड़े प्रणाली (ECWCS) के लिए प्रौद्योगिकी सौंपी। उन्होंने इस मौके पर ना केवल सेना की मौजूदा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बल्कि निर्यात के लिए अपनी क्षमता का दोहन करने के लिए भी SCME वस्तुओं के लिए स्वदेशी औद्योगिक आधार विकसित करने की जरूरत पर जोर दिया।