संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि वे 11 दिसंबर को जश्न मनाने के बाद घर वापस जाएंगे।
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एक साल से ज्यादा समय से चल रहे किसान आन्दोलन अब सरकार के द्वारा सभी मांगें मान लिए जाने के बाद ख़त्म हो गया है, हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि वे 11 दिसंबर को जश्न मनाने के बाद घर वापस जाएंगे।
किसान आंदोलन खत्म करने के ऐलान के बाद टिकरी और सिंघु बॉर्डर से किसान वापस जाने शुरू हो गए हैं ट्रिब्यून इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, किसानों के पहले जत्थे में जो किसान घर लौटने के लिए रवाना हुए उनमे पठानकोट, अमृतसर, तरनतारन, गुरदासपुर, होशियारपुर और फिरोजपुर जैसे दूर-दराज के स्थानों के किसान शामिल थे, जबकि उनमें से अधिकांश किसानों ने शुक्रवार की सुबह जल्दी वापस जाने के लिए अपना सामान बाँधा। आपको बता दें कि जब मंच से आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया गया तो मुख्य प्रदर्शन स्थल पर किसानों ने जीत का जश्न मनाया और मंच पर डांस भी किया। एसकेएम के निर्णय के अनुसार अधिकांश किसान शनिवार को पंजाब के लिए रवाना होंगे।
किसान नेताओं ने बताया कि यह आन्दोलन अभी ख़त्म नहीं हुआ है इसे स्थगित किया जा रहा है। 15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की फिर बैठक होगी, जिसमें इस बिल की समीक्षा की जाएगी सरकार अगर अपने फैसले से हटती है तो आंदोलन फिर से शुरू किया जाएगा।
एक साल से ज्यादा समय स चल रहे किसान आन्दोलन में कभी भी किसानों ने अपनी भूमिका को कमज़ोर नहीं साबित होने दिया। यूपी गेट पर किसान हर मौसम हर हालात में डंटे रहे, चाहे पुलिस के आंसू गैस के गोलों का सामना करना हो या मार्च निकालकर प्रदर्शन किसानों ने आन्दोलन को मजबूती से थामे रखा। किसानों के समर्थन में कई बार विपक्ष के नेता भी पहुंचे लेकिन उनमे से किसी को भी किसान आन्दोलन में मंच साझा करने की अनुमति नहीं दी गई।
किसान आन्दोलन की तमाम विडियो इन्टरनेट पर आये दिन वायरल होती रहती थी जिसमे कहीं रोटी बनाने वाली मशीन लगी थी कहीं पिज़्ज़ा लंगर में बांटा जा रहा था, यहाँ सैकड़ों किसानों के लिए लंगर की व्यवस्था थी, अक्सर यहाँ आस पास के गाँवों के लोग भी लंगर खाने आते थे, और ठण्ड में बुजुर्गों के लिए हेल्थ कैम्प भी लगाया जाता था।
26 जनवरी को दिल्ली में किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान जो मंजर सामने आया उसकी तस्वीरें और विडियो वायरल हुईं तो आम जनता में भी प्रदर्शनकारियों के प्रति गुस्सा भरने लगा था। जिसका नतीजा यह हुआ कि किसान आंदोलन थोड़ा कमजोर पड़ने लगा वहीं कुछ किसान संगठनों ने खुद को इससे अलग करना भी शुरू कर दिया था । इसके बाद गाजियाबाद प्रशासन द्वारा यह निर्देश दिया गया की यूपी गेट खाली कर दिया जाए। फिर किसान नेता राकेश टिकैत की अपील जिसमें वह पत्रकारों से बात करते हुए भावुक हो गए थे, वह काम आई और अन्य संगठन जुटने लगे और किसान आंदोलन वैसे ही चलता रहा।