अतीक अहमद भी आम परिवार से ही आता है जैसे बाकी लोगों की दुनिया होती है अतीक के परिवार की भी वहीं दुनिया थी. अतीक के पिता तांगा चलाते थे मुश्किल से परिवार वालों का पेट भर पाता था. फिर क्या था बेटे को ज्यादा पैसे कमाने थे इसीलिए तांगे वाले का बेटा अतीक अहमद ने जुर्म की गाड़ी पकड़ ली और 17 साल की उम्र में पहला केस दर्ज हुआ धीरे-धीरे ये कांरवा आगे बढ़ता गया और अतीक ने जुर्म की दुनिया में अपना मुकाम हासिल करता गया एक वो वक्त भी था जब अतीक के नाम से ही सब लोगों के पसीने छुट जाते थे.
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अतीक का सियासी सफर
अतीक के ऊपर इतने केस दर्ज हो गए थे कि वो डरने लगा था कहीं उसका एनकाउंटर ना हो जाए इसीलिए उसने बीच का रास्ता अपनाया और उसने राजनीति में अपना पैर डाला. अतीक ने अपना शातिर दिमाग चलाया और 1989 में यूपी के विधानसभा चुनावों में अपनी किस्मत आजमाई और प्रयागराज जो कि उस वक्त इलाहाबाद हुआ करता था उसके वेस्ट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर किस्मत आजमाई..उन दिनों वहां के हालातों को देखते हुए माफिया को कामयाबी मिल गई और वह विधायक बन गया. फिर इलाहाबाद वेस्ट सीट से 1991, 1993,1996 और 2002 में भी लगातार अतीक ने जीत हासिल की. 2004 में अतीक ने समाजवादी पार्टी से फूलपूर का सांसद चुना गया, और ये सीट पहले पूर्व पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू की सीट हुआ करती थी.
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राजूपाल हत्याकांड ने किया सब कुछ खत्म
साल 2005 और तारीख 25 जनवरी इस दिन इलाहाबाद में एक ऐसा हादसा हुआ जिसने अतीक अहमद को नहीं बल्कि तीन परिवार को बिखेर दिया. और साथ ही साथ राजनीतिक करियर पर भी विराम लगा दिया. इस घटना के बाद अतीक अहमद और उसके भाई दोनों को जेल जाना पड़ा दोनों के ऊपर राजूपाल की हत्या करने का आरोप लगा था जिसके बाद से अतीक ने लोकसभा और विधानसभा जो भी चुनाव लड़ा हर चुनाव में सिर्फ हार ही मिली है.
अतीक का पूरा परिवार है आरोपी
अतीक अहमद का पूरा परिवार तितर-बितर हो रखा है एक खुशहाल परिवार किसे कहते है वो अतीक के परिवार के लोगों को अभी तक पता नहीं चल पाया है. अतीक खुद कई सालों से जेल में बंद है भाई बरेली जेल में कैद है तो वहीं पत्नी फरार है जिसपर ढाई लाख का इनाम घोषित है दो बेटे अतीक के बाल सुधार गृह में बंद है तो एक बेटे को नैनी जेल में बंद किया गया है.