राजमहल परियोजना में खनन में हो रही देरी के चलते हुआ 50 करोड़ का घाटा।
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झारखंड, 26 दिसंबर। राजमहल परियोजना में हो रहे घाटे को लेकर ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड के निदेशक ने चिंता जताते हुए कहा कि इस परियोजना को बचाना होगा। आपको बता दें कि ईसीएल के निदेशक बी वीरा रेड्डी ने मीडिया को बताया कि परियोजना 50 करोड़ घाटे में चल रही है। यही हाल रहा तो मौजूदा वित्तीय वर्ष (2021-2022) में ईसीएल का घाटा 2 हजार करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है।
ईसीएल के निदेशक बी वीरा रेड्डी राजमहल परियोजना के दो दिवसीय दौरे पर आए थे। ऊर्जानगर मोहल्ला स्थित राजमहल हाउस में ट्रेड यूनियन, स्थानीय संवेदक व ग्रामीणों से बातचीत के बाद उन्होंने बताया कि तालझारी मौजा में खनन कार्य प्रारंभ नहीं किया गया तो राजमहल परियोजना को बंद करना पड़ेगा।
झारखंड सरकार के द्वारा राजमहल परियोजना में वर्ष 2021-22 के अंतर्गत करीब 19.9 मिलियन टन कोयले का उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। लेकिन अभी तक 3.8 मिलियन टन कोयले का ही उत्पादन हो सका है। मौजूदा लक्ष्य के आधार परियोजना 50 करोड़ घाटे में चल रही है। जबकि ईसीएस करीब 600 करोड़ के घाटे में है। परियोजना में कार्य में हुई देरी के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2021-22 में ईसीएल का अनुमानित घाटा 2000 करोड़ तक पहुंच सकता है।
राजमहल परियोजना चार सालों तक चलेगी। तालझारी के ग्रामीणों को मुआवजा राशि का भुगतान करने के बाद भी खनन कार्य शुरु नहीं किया गया।
इस मामले पर गोड्डा से भाजपा सांसद ने ट्वीट करते हुए लिखा “राजमहल परियोजना क्षेत्र के लिए अत्यंत हितकारी है, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हो सका है। जिससे यह परियोजना खतरे में आ गई है, जिसे हम सबको मिलकर बचाना है।”
राजमहल परियोजना क्षेत्र के लिए अत्यंत हितकारी है. लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हो सका है. जिससे यह परियोजना खतरे में आ गई है. जिसे हम सबको मिलकर बचाना है. pic.twitter.com/NddJUZQvLa
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) December 26, 2021