सरकार के पास विकास का कोई प्रारूप और कोई प्राथमिकता तक नहीं है। किसानों के साथ सरकार ने पूरी तरह छल करने का काम किया है
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झारखंड सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार को सभी मोर्चे पर पूरी तरह विफल बताया है। उन्होंने कहा है कि किसी भी सरकार से जनता को सबसे पहले कानून व्यवस्था दुरुस्त रखने की काफी उम्मीदें होती हैं। ताकि जनता शांतिपूर्वक और भयमुक्त होकर जीवन यापन कर सके। लेकिन झारखंड प्रदेश में इन दो वर्षों में कोई वर्ग सुरक्षित नहीं है।
उन्होंने कहा कि अपराध में लगातार बढ़ोतरी हुई है। इसका प्रमुख कारण यह है की जिसके जिम्मे पूरी कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने की जिम्मेवारी है उस पुलिस महकमे को सरकार ने वसूली अभियान में लगा रखा है और उसे औजार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। लॉ एंड ऑर्डर ध्वस्त होने का यह एक प्रमुख कारण है। सरकार गठन से लेकर अब तक 3451 हत्याएं और 3154 दुष्कर्म की घटनाएं घटित होना, हेमंत राज की सारी हकीकत बयां करने के लिए पर्याप्त है। दो वर्षों में कुल 1,14,000 क्राइम हुआ है। अपराध पर कोई काबू नहीं है।
उन्होंने कहा कि लोग हताश और निराश है। अब तो यह स्थिति है कि लोग पुलिस को कोई घटना बताना तक मुनासिब नहीं समझते। राज्य में विकास का काम पूरी तरह ठप है। सड़क का कोई निर्माण नहीं। कोई योजना धरातल पर नहीं। राज्य सरकार पैसे का रोना रोती रहती है। राज्य की पैसे की बात तो छोड़िए केंद्र का पैसा खर्च करने में सरकार विफल साबित हुई है। दिसंबर तक बजट का मात्र लगभग 35 प्रतिशत खर्च होना, झारखंड सरकार की इच्छाशक्ति को बताने के लिए काफी है। कई महत्वपूर्ण क्षेत्र में मात्र 10 प्रतिशत ही खर्च हुआ है। गांव में विकास को लेकर सरकार पूरी तरह उदासीन रही है। भारत सरकार की योजना नल से जल योजना में महज 24 फ़ीसदी पैसा खर्च हुआ है। स्वास्थ्य का हाल तो बुरा है ही। सरकार के पास विकास का कोई प्रारूप और कोई प्राथमिकता तक नहीं है। किसानों के साथ सरकार ने पूरी तरह छल करने का काम किया है। किसानों के प्रति सरकार थोड़ी भी गंभीर नहीं है पूरे राज्य में 15 दिसंबर तक मात्र 17000 टन धान की खरीद हो पाई है जबकि लक्ष्य 8 लाख टन की खरीदारी का था। किसानों को राज्य सरकार के कु-प्रबंधन के कारण किसानों को औने पौने दाम पर बिचौलियों को धान बेचने के लिए विवश हैं।
उन्होंने कहा कि जेपीएससी में घोटाले की बात पूरी तरह सिद्ध हो चुकी है। जब नौजवानों ने दस्तावेज प्रस्तुत किया था तब 49 लोगों का रिजल्ट रद्द किया गया। ओएमआर शीट जारी नहीं की गई। विधानसभा सत्र के दौरान हमारी पार्टी इस पर चर्चा चाहती थी परंतु सरकार भागती रही। जेपीएससी मामले की जांच सीबीआई से कराने और जेपीएससी चेयरमैन को बर्खास्त करने की मांग हम पुन: दोहराते हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार तुष्टीकरण की राजनीति में पूरी तरह लीन है। नमाज कक्ष आवंटित करना उसका बड़ा उदाहरण है। सड़क से लेकर सदन तक पार्टी ने पुरजोर आंदोलन किया। कार्यकर्ताओं पर मुकदमा तक हुआ। सरकार मामले को 45 दिन में पटाक्षेप करने का वादा कर अभी तक चुप्पी साधे हुई है। यह सब केवल मुस्लिम समुदाय को खुश करने के लिए किया गया। तुष्टिकरण का एक और नायाब उदाहरण पांच मार्च 2021 को सरकार के द्वारा जारी एक संकल्प से समझा जा सकता है। एसटी, एससी और ओबीसी के छात्रों को साइकिल के लिए आवेदन के साथ ऑनलाइन निर्गत जाति प्रमाण पत्र देना था। जबकि मुस्लिम छात्रों के लिए स्वघोषित ही जाति प्रमाण पत्र पत्र देने का संकल्प जारी किया गया। यह तुष्टीकरण की पराकाष्ठा नहीं तो और क्या है। हर मामले में सरकार कमाई और लूट का अवसर ढूंढती है। बालू, खनिज, कोयला, पत्थर में लूट मची है। सरकार कफन बांटती है और खून चूस रही है। खून पर भी लोगों से पैसे वसूल रही है।