हिमालय की विशाल नदियां, गहरी घाटियां और घने जंगल हर मनुष्य को आकर्षित करते हैं।
ऋषिकेश,09 सितम्बर। प्रकृति जिसपर हर कोई निर्भर है, कोई भी ऐसा नहीं होगा जिसका प्रकृति से संबंध नहीं है। भारत प्रकृति से लबरेज़ है, यहां के हिमालयों में ग्लेशियर, वनसंपदा और खनिज पदार्थों की खान है। लेकिन इन्हें बरकरार रखने के लिए इनका भी ध्यान रखना होता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो एक दिन ये सब खत्म हो जाएगा, जिसके बाद मनुष्य जीवन पर सबसे बड़ा खतरा आएगा।
हिमालय दिवस पर महापौर अनिता ममगांई ने कहा कि हिमालय देश का गौरव है। हम सभी को हिमालय और उसके पर्यावरण को बचाने की निष्ठापूर्वक शपथ लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पहाड़ों में पेड़ों के अंधाधुंध कटान की वजह से हल्की बारिश में भूस्खलन देखने को मिल रहा है, जो कि बेहद चिंता जनक है। उन्होंने कहा कि हिलालय सुरक्षित रहेगा तभी हम सुरक्षित रह पायेंगे। उसकी रक्षा के लिए जल और जंगल दोनों को बचाना होगा।
महापौर ने कहा कि हिमालय से भारत का अस्तित्व टिका है। हिमालय क्षेत्र में व्यापक स्तर पर पौधे रोपण, उसके संरक्षण करने से ही हिमालय सुरक्षित रह सकता है। हिमालय में लगातार कम हो रहे ग्लेशियरों पर उन्होंने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हिमालय और पर्यावरण की समस्याओं के समाधान के लिए जनजागरण एकमात्र उपाय है। इस मौके पर सभी ने मिलकर पौधा रोपण किया और पौधों के संरक्षण का भी संकल्प लिया।
हिन्दुस्थान समाचार