2001 Indian Parliament Attack : संसद हमले के दौरान कई सांसद और उपप्रधानमंत्री संसद भवन में ही मौजूद थे। गोलियों की आवाज सुनते ही उपप्रधानमंत्री आडवाडी बाहर आने लगते हैं, तभी सुरक्षाकर्मी उनको बाहर जाने से मना करते हैं और उनको हमले की सूचना देते हैं।
Updated Date
नई दिल्ली, 13 दिसंबर। हर साल की तरह 13 दिसंबर 2001 को भी संसद का शीतकालीन सत्र शुरु हो गया था। विपक्षी दल ताबूत घोटाले का मुद्दा उठा रहे थे। हंगामे के बीच संसद को स्थगित कर दिया गया था। उस समय के मौजूदा पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और विपक्षी पार्टी कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने-अपने घरों की ओर निकल चुके थे। लेकिन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण अडवाणी सहित कई अन्य सांसद संसद में ही रूके हुए थे, तभी पांच आंतकी संसद में प्रवेश करते हैं। आतंकी सफेद अबेसडर कार से संसद भवन के परिसर में प्रवेश करते हैं। प्रवेश के दौरान एक आंतकी खुद को संसद भवन के गेट पर ही उड़ा लेता है।
संसद में प्रवेश करते ही आतंकी राज्यसभा के गेट नंबर 11 के बाहर खड़ी उपराष्ट्रपति की गाड़ी में टक्कर मार देते हैं। उपराष्ट्रपति का ड्राइवर शेखर कुछ समझ नहीं पाता है, टक्कर लगते ही आतंकी उनकी गाड़ी पर गोलियों की बौछार कर देते हैं। जान बचाने के लिए शेखर गाड़ी के पीछे छिप जाते हैं। इस समय तक सुरक्षाकर्मी आतंकियों के साथ अपनी जवाबी कार्रवाई शुरू कर देते हैं।
गोलियों की आवाज सुनते ही आणवाडी संसद से बाहर आने लगते हैं, लेकिन उनको सुरक्षाकर्मियों द्वारा रोक दिया जाता है। हमले की जानकारी मिलते ही आडवाणी अपने ऑफिस चले जाते हैं और तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को फोन लगाते हैं। जबकि दूसरी ओर सुरक्षाकर्मी संसद के दरवाजे को बंद कर देते हैं। जिस वजह से आतंकी अंदर नहीं आ पाते हैं।
इस हमले में देश के सुरक्षाबलों ने सभी आंतकियों को मार गिराया। दिल्ली पुलिस के मुताबिक लश्कर-ए-तैयबा व जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी इस घटना में शामिल थे। हमले के दौरान आतंकी मोहम्मद राना, हैदर उर्फ तुफैल व रणविजय शामिल थे। इस घटना में सबसे पहले कमलेश कुमारी शहीद हुई थी। इसके बाद संसद के एक माली और दो सुरक्षाकर्मी व दिल्ली पुलिस के छह के जवान शहीद हुए।
इस आतंकी हमले में पाकिस्तान की आईएसआई एजेंसी, एसए आर गिलानी, मोहम्मद अफजल गुरु और शौकत हुसैन शामिल थे। संसद हमले के करीब 12 सालों बाद 2013 की फरवरी को अफजल गुरु को फांसी दी गई।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को संसद पर हुए आतंकी हमले की 20वीं बरसी पर राष्ट्र सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुर सुरक्षाबलों को नमन किया।
राष्ट्रपति कोविन्द ने ट्वीट कर कहा,“मैं उन बहादुर सुरक्षा कर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने 2001 में आज ही के दिन एक नृशंस आतंकवादी हमले के खिलाफ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की संसद की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए राष्ट्र सदैव उनका आभारी रहेगा।”
I pay homage to the brave security personnel who laid down their lives on this day in 2001, defending the Parliament of the world’s largest democracy against a dastardly terrorist attack. The nation shall forever remain grateful to them for their supreme sacrifice.
— President of India (@rashtrapatibhvn) December 13, 2021
उपराष्ट्रपति नायडू ने ट्वीट कर कहा, “आज के दिन संसद भवन की सुरक्षा में तैनात हमारे उन वीर सुरक्षाकर्मियों की शहादत को विनम्रतापूर्वक प्रणाम करता हूं जिन्होंने 13 दिसंबर 2001 को लोकतंत्र के इस मंदिर पर हुए आतंकवादी हमले में अपना सर्वस्व बलिदान करके भी संसद भवन की रक्षा की। भारत का लोकतंत्र सदैव आपका कृतज्ञ रहेगा।”
आज के दिन संसद भवन की सुरक्षा में तैनात हमारे उन वीर सुरक्षाकर्मियों की शहादत को विनम्रतापूर्वक प्रणाम करता हूं जिन्होंने 13 दिसंबर 2001 को लोकतंत्र के इस मंदिर पर हुए आतंकवादी हमले में अपना सर्वस्व बलिदान करके भी संसद भवन की रक्षा की। भारत का लोकतंत्र सदैव आपका कृतज्ञ रहेगा।
— Vice President of India (@VPSecretariat) December 13, 2021
प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, “मैं उन सभी सुरक्षा कर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जो 2001 में संसद हमले के समय ड्यूटी के दौरान शहीद हुए थे। राष्ट्र के लिए उनकी सेवा और सर्वोच्च बलिदान हर नागरिक को प्रेरित करता है।”
I pay my tributes to all those security personnel who were martyred in the line of duty during the Parliament attack in 2001. Their service to the nation and supreme sacrifice continues to inspire every citizen.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 13, 2021