BJP विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि अभी तक मूल बजट की 20 % राशि भी हेमंत सरकार खर्च नहीं कर पाई और अब फिर 4684.93 करोड़ का अनुपूरक बजट विधानसभा से मांग रही है। ये एक तरह से जनता पर बोझ है।
रांची, 06 सितम्बर। झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन सोमवार को विपक्षी दल के हंगामे के बीच 4,684.93 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पेश हुआ। राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने सदन में चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 4684.93 करोड़ रुपये के अनुपूरक बजट रखा। अब इस पर मंगलवार को सदन में चर्चा होगी और पारित किया जायेगा।
किस विभाग को कितना बजट ?
अनुपूरक बजट में सबसे ज्यादा राशि ऊर्जा विभाग के लिए 1,786 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा खान विभाग के लिए 1,000 करोड़, कृषि विभाग के लिए 324 करोड़, स्वास्थ्य विभाग के लिए 279 करोड़, गृह विभाग के लिए 337 करोड़, ग्रामीण विकास विभाग के लिए 284 करोड़, जल संसाधन विभाग के लिए 172 करोड़ और महिला बाल विकास विभाग के लिए 173 करोड़ रुपये का प्रावधान है।
वहीं बीजेपी सदस्यों के हंगामे की वजह से प्रश्नकाल, मुख्यमंत्री प्रश्नकाल, शून्यकाल और ध्यानाकर्षण सूचना की कार्यवाही बाधित रही। हालांकि, दो अल्पसूचित प्रश्नों पर सरकार की ओर से सदन में उत्तर दिया गया, लेकिन शोरगुल के वजह से कुछ सुना नहीं जा सका। विधानसभा की कार्यवाही के वक्त बीजेपी के कई सदस्य नारेबाजी करते हुए वेल में भी पहुंच गये थे और कार्यस्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराने की मांग को लेकर शोर-शराबा किया। इसके कारण विधानसभा अध्यक्ष ने सभा की कार्यवाही को दोपहर 12.45 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया था।
विकास कार्यों के लिए अनुपूरक बजट जरूरी- अनूप सिंह
कांग्रेस विधायक अनूप सिंह ने कहा कि विकास कार्यों के लिए अनुपूरक बजट जरूरी है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में आधारभूत संरचना का विकास तेजी से हो रहा है। इसलिए उसमें सबसे ज्यादा राशि का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष का काम ही हर विषय का विरोध करना है। जब वो सत्ता में रहते हैं तो अनुपूरक बजट को उचित करार देते हैं और विपक्ष में आते ही उन्हें ये गलत लगने लगता है। उन्होंने कहा कि अनुपूरक बजट से सरकार पर कोई वित्तीय भार नहीं पड़ेगा।
मूल बजट का 20% भी खर्च नहीं, अनुपूरक जनता पर बोझ- मनीष जायसवाल
BJP विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि अभी तक मूल बजट की 20 प्रतिशत राशि भी हेमंत सरकार खर्च नहीं कर पाई है और अब फिर साढ़े चार हजार करोड़ से ज्यादा का अनुपूरक बजट विधानसभा से मांग रही है। ये एक तरह से जनता पर बोझ है। एक तो पहले से ही बजट से बड़ी राशि कर्ज चुकाने पर खर्च हो रही है और फिर से अनुपूरक लाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार को ये बताना चाहिए कि जब मूल बजट की राशि बची हुई है तो अनुपूरक लाने का क्या औचित्य है।
हिन्दुस्थान समाचार