चुनाव अधिनियम विधेयक 2021 को लेकर क्यों है विवाद, इसके आने से क्या फायदे और नुकसान होंगे? जानें आगे
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चुनाव अधिनियम संशोधन विधेयक 2021 : बीते दिनों संसद के दोनों सदनों में विपक्ष की ओर से चुनाव अधिनियम संशोधन विधेयक 2021 का जमकर विरोध किया गया, लेकिन इसके बावजूद सदन के दोनों ही सदनों से ये बिल पास कर दिया गया है। इस विवाद को समझने के लिए आपको सबसे पहले इस बिल को समझना होगा। साथ ही ये भी समझना होगा कि आखिर विपक्ष किन बिंदुओं के आधार पर इसका विरोध कर रहा है।
चुनाव अधिनियम संशोधन विधेयक 2021 को चुनाव से जुड़ी कुछ अनियमितताओं को सुधारने के लिए लाया गया है। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने इस बिल को दोनों ही सदनों में पेश किया। इस विधेयक के माध्यम से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 (Representation of the People Act 1950) और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में संशोधन किए जाने का प्रस्ताव किया गया है। इसमें चार मुख्य बदलावों को शामिल किया गया है।
पहला – वोटर कार्ड और आधार कार्ड को एक दूसरे के साथ लिंक किया जाएगा। ये नियम लोगों के लिए स्वैच्छिक है, इसे अनिवार्य श्रेणी में नहीं रखा गया है।
दूसरा – वोटर लिस्ट में शामिल होने लिए साल में एक बार की जगह पर चार मौके दिए जाएंगे। अभी तक एक जनवरी को वोटर लिस्ट में बीते साल के नए वोटरों को शामिल किया जाता है। लेकिन बिल के बाद लोगों के नामों को शामिल करने की प्रक्रिया साल में चार बार यानी जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर माह में भी की जाएगी।
तीसरा – सेना में शामिल महिलाओं के पतियों को भी सर्विस वोटर का दर्जा दिया जाएगा।
चौथा – चुनाव आयोग किसी भी परिसर को चुनाव संचालन के लिए अपने अधिकार में ले सकता है।
1. वोटर आईडी की डुप्लीकेसी खत्म होगी।
2. फर्जी वोटिंग को रोका जा सकेगा।
3. इलेक्शन के डेटाबेस को मजूबत बनाने में मदद मिलेगी।
4. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण कदम।
5. प्रवासी मतदाताओं को किसी भी जगह से वोट करने का मौका मिलेगा।
अभी मान लीजिये किसी व्यक्ति का नाम उसके गांव की वोटर लिस्ट में पहले से ही दर्ज है। लेकिन मौजूदा समय में वो शहर में रह रहा है, और उसने शहर की वोटर लिस्ट में भी अपना नाम लिखवा लिया है। ऐसे में वो व्यक्ति दोनों ही जगह पर अपना वोट डाल सकता है। जबकि वोटर आईडी और आधार के लिंक होने से उस व्यक्ति का नाम एक ही वोटर लिस्ट में रहेगा। यानी वो सिर्फ एक ही जगह से वोट डाल पाएगा। इससे वोटिंग डुप्लीकेसी में रोक लगेगी।
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने बिल को संसद के दोनों में पेश किया। लेकिन विपक्षी दलों ने इस बिल का जमकर विरोध किया। फिलहाल ये बिल दोनों ही सदनों से पास हो चुका है। मगर विपक्ष ने इस बिल को लेकर जो नुकसान बताए उनको आप भी जानें
1. मौलिक अधिकारों का हनन का तर्क रखा।
2. निजता पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर उल्लंघन हो रहा है।
3. व्यक्ति की निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा।
4. सरकार के पास नागरिक की सभी जानकारियां पहुंच जाएगी।
5. आधार और वोटर आईडी के इस्तेमाल का उद्देश्य अलग-अलग है।
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