सरकारी खजाने को अपने समर्थकों में बांटना, न सिर्फ धन का दुरुपयोग बल्कि गलत परंपरा है। इसे तत्काल वापस लेना चाहिए।'
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पटना, 13 अक्टूबर। बिहार सरकार ने जेपी सेनानियों को मिलने वाली पेंशन की राशि बढ़ाने का ऐलान किया है। कांग्रेस ने इसे सरकारी धन का दुरुपयोग बताया है। कांग्रेस के पार्षद प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि ‘इस योजना को जल्द से जल्द खत्म करना चाहिए। यह कांग्रेस सरकार के विरुद्ध चलाया गया राजनीतिक महत्वाकांक्षा से प्रेरित एक आंदोलन था। इसमें भाग लेने या जेल गए राजनीतिक कार्यकर्ताओं को हजारों रुपए बतौर पेंशन देना, सरकारी खजाने को अपने समर्थकों में बांटना, न सिर्फ धन का दुरुपयोग बल्कि गलत परंपरा है। इसे तत्काल वापस लेना चाहिए।’
उन्होंने पूछा है कि ’45 साल पहले के आंदोलनकारियों को आखिर कब तक सरकारी खजाने से पैसा दिया जाता रहेगा ? जब गरीबों, विकलांगों, महिलाओं, वृद्धजनों को प्रतिमाह मात्र 400 रुपये मिलने वाली पेंशन को बढ़ाने की मांग की जाती है, तो मुख्यमंत्री पैसे की कमी बता कर मना कर देते हैं। जेपी सेनानियों के नाम पर अपने समर्थकों को प्रतिमाह पांच हजार से बढ़ाकर 7500 रुपये पेंशन देने के लिए पैसा है? यह अपने आप में कई सवाल खड़े करता है।’
कांग्रेस नेता ने कहा कि किसी भी राज्य में सत्तारूढ़ दल के समर्थकों को पेंशन देना कहीं से भी उचित नहीं है। बिहार जैसे गरीब राज्य के खजाने से प्रतिमाह करोड़ों रुपए 45 साल पहले के राजनीतिक आंदोलन में भाग लेने वालों के बीच बांटना एक प्रकार की लूट और बंदरबांट जैसा है। इस मद में खर्च हो रहे सरकारी धन का उपयोग सिर्फ ‘गरीबों, दलितों, विकलांगों, असहाय वृद्धों, महिलाओं को मिलने वाली पेंशन’ की राशि की बढ़ोत्तरी में की जानी चाहिए।
‘जदयू’ का पलटवार ‘राजद’ से राय ले लें प्रेमचंद मिश्रा
इस मामले में जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि जेपी मूवमेंट अधिनायकवाद के खिलाफ लड़ाई थी। इस पर बयान देने से पहले महागठबंधन के राजद से राय ले लें प्रेमचंद मिश्रा। जेपी सेनानी जेल में गए थे। वह दलीय निष्ठा नहीं थी। नीतीश कुमार ने ही स्वतंत्रता सेनानियों के पोते-पोतियों को आरक्षण दिया, कांग्रेस ने तो उनका ख्याल नहीं रखा।’
राजद के प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा कि ‘जेपी आंदोलन किसी दल विशेष से जुड़ा हुआ नहीं था। अभी उससे भी बदतर स्थिति होती जा रही है। जेपी पेंशन बंद नहीं होनी चाहिए, बल्कि उन लोगों को भी जोड़ना चाहिए जिन्होंने भूमिगत होकर आंदोलन को आगे बढ़ाने में मदद की। सरकार को वृद्धावस्था पेंशन सहित सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि बढ़ानी चाहिए।’
भाजपा के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि ‘जेपी सेनानियों ने सत्ता की निरंकुशता और एकाधिकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। 1947 में एक आजादी की लड़ाई लड़ी गई और दूसरी आर्थिक आजादी की लडा़ई लड़ी गई जेपी के नेतृत्व में। स्वतंत्रता सेनानी भी निस्वार्थ भाव से लड़े थे और जेपी के सिपाही भी निस्वार्थ भाव से लड़े।