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Defense of honour: भारत में भिक्षावृत्ति रोकने को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग गंभीर, भिखारियों के पुनर्वास पर जोर, कहा- उनके सम्मान की रक्षा करेगा आयोग

By HO BUREAU 

Updated Date

National Human Rights Commission

नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)  ने 30 अगस्त को यहां अपने परिसर में ‘भिक्षावृत्ति की रोकथाम और भिक्षावृत्ति में लगे व्यक्तियों के पुनर्वास’ पर खुली चर्चा का आयोजन किया। अध्यक्षता NHRC की कार्यवाहक अध्यक्ष श्रीमती विजया भारती सयानी ने की। उन्होंने कहा कि तेजी से आर्थिक प्रगति और केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लागू की गई कई कल्याणकारी कार्यक्रमों के बावजूद भीख मांगने की प्रथा जारी रहना देश में गहरी सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को इंगित करता है।

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2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 413 हजार से अधिक भिखारी

2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 413 हजार से अधिक भिखारी और आवारा लोग थे। इनमें महिलाएं, बच्चे, ट्रांसजेंडर और बुजुर्ग शामिल हैं जो जीवित रहने के लिए भीख मांगने को मजबूर हैं।उन्होंने कहा कि सामाजिक उपेक्षा के परिणामस्वरूप, शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के पास जीवित रहने और दैनिक भरण-पोषण के लिए दूसरों पर निर्भर रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

श्रीमती सयानी ने कहा कि आयोग इन व्यक्तियों के मानवाधिकारों की रक्षा करने, यह सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है कि उनके साथ सम्मान और निष्पक्षता से व्यवहार किया जाए। उन्होंने आजीविका के लिए सीमांत व्यक्तियों के समर्थन (SMILE)-बी योजना के महत्व पर भी प्रकाश डाला, जो भीख मांगने में लगे व्यक्तियों के पुनर्वास पर केंद्रित है।

एनएचआरसी के महासचिव भरत लाल ने कहा कि हाल ही में आयोग ने केंद्र और राज्य सरकारों और यूटी प्रशासनों को भीख मांगने की आवश्यकता को खत्म करने और इसमें शामिल लोगों के लिए जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से रणनीति विकसित करने के लिए एक सलाह जारी की है।

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देश में 80 करोड़ लोगों को मिल सकता है मुफ्त अनाज तो भिक्षावृत्ति में लगे लगभग 4 लाख लोगों का पुनर्वास मुश्किल नहीं

उन्होंने यह भी कहा कि सरकारें, विशेष रूप से हाल के वर्षों में, नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में लगातार सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पानी, आवास और बिजली जैसी बुनियादी सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए केंद्रित प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अगर देश में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज मिल सकता है, तो भिक्षावृत्ति में लगे लगभग 4 लाख लोगों का पुनर्वास मुश्किल नहीं होना चाहिए।

श्री लाल ने कहा कि यदि नागरिक समाज संगठनों सहित विभिन्न हितधारक मिलकर काम करें तो उनका पुनर्वास करना मुश्किल नहीं होगा। उन्हें आधार कार्ड प्रदान करके खाद्यान्न, आवास, बिजली कनेक्शन, शौचालय और रसोई गैस तक पहुंच प्राप्त हो सकती है।

इससे पहले खुली चर्चा का अवलोकन देते हुए, संयुक्त सचिव देवेन्द्र कुमार निम ने मौजूदा कानूनों और दृष्टिकोणों का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता पर जोर दिया, संवैधानिक सिद्धांतों और हालिया अदालत के अनुरूप, दंडात्मक उपायों से पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित करने की वकालत की। फैसले यह बदलाव भीख मांगने की समस्या के अधिक प्रभावी और मानवीय समाधान का मार्ग प्रदान करता है।

सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ यूथ एंड मास के निदेशक राजेश कुमार ने कहा कि उनके संगठन ने अपने आश्रय घरों के निवासियों के लिए लगभग 100 प्रतिशत आधार कार्ड नामांकन हासिल कर लिया है। बेगर्स कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक श्री चंद्र मिश्रा ने बताया कि कैसे वह भिखारियों को अपनी कंपनी में हितधारकों के रूप में शामिल करके उद्यमियों में बदल रहे हैं।

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प्रतिभागियों में जोगिंदर सिंह, रजिस्ट्रार (कानून), एनएचआरसी, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के प्रतिनिधि, बिहार सरकार, राजस्थान सरकार, एनसीटी दिल्ली सरकार, गैर सरकारी संगठन, शिक्षाविद और प्रख्यात विषय-वस्तु विशेषज्ञ शामिल थे।

 बैठक से निकले कुछ प्रमुख सुझाव इस प्रकार हैं:

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