Jaipur: राजस्थान सरकार ने राज्य में बढ़ते अवैध धर्मांतरण की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए एक सख्त कानून पेश किया है। विधानसभा में पारित हुए इस विधेयक के तहत अब जबरन, धोखे से या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन करवाने पर दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान किया गया है। इस कानून को “राजस्थान अवैध धर्मांतरण प्रतिषेध अधिनियम 2025” नाम दिया गया है।
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सरकार का कहना है कि यह कानून राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने और भोले-भाले लोगों को जबरन या प्रलोभन देकर धर्मांतरण से बचाने के उद्देश्य से लाया गया है। नए कानून के अनुसार यदि कोई व्यक्ति बल, धोखा, लालच, जबरदस्ती, या शादी का झांसा देकर किसी का धर्म परिवर्तन करवाता है, तो उसे 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा दी जा सकती है। इसके अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया जा सकता है, जो एक लाख रुपये तक हो सकता है।
विशेष रूप से यदि पीड़ित अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला, नाबालिग, या मानसिक रूप से अक्षम व्यक्ति है, तो सजा और भी कठोर होगी। इसके साथ ही धर्मांतरण करवाने वाले संगठनों या संस्थाओं पर भी कड़ी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।कानून के तहत धर्म परिवर्तन से पहले और बाद में जिला मजिस्ट्रेट को सूचना देना अनिवार्य होगा। बिना सूचना के धर्म परिवर्तन को अवैध माना जाएगा और इसमें शामिल व्यक्ति या संस्था के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा।
राज्य सरकार का दावा है कि यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों को प्रभावित नहीं करता, बल्कि अवैध और जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने का एक संवैधानिक प्रयास है। वहीं, विपक्षी दलों और कुछ सामाजिक संगठनों ने इस कानून पर सवाल उठाते हुए इसे धार्मिक आजादी पर अंकुश लगाने वाला करार दिया है।फिलहाल सरकार ने संबंधित अधिकारियों को इस कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के निर्देश दे दिए हैं और आम जनता से भी अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत प्रशासन को दें।
यह कानून राजस्थान में धर्मांतरण से जुड़े मामलों को लेकर एक निर्णायक कदम माना जा रहा है, जिससे आने वाले समय में इस विषय पर व्यापक बहस और असर की संभावना है।