आतंक के खिलाफ सख्त रवैया और संवाद दोनों ज़रूरी: इल्तिजा मुफ़्ती
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुआ आतंकी हमला, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की मौत हुई, ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस घटना पर इल्तिजा मुफ़्ती ने कहा कि घाटी में इस तरह की घटनाएं बेहद निंदनीय हैं और इनका जवाब सिर्फ सुरक्षा बलों की कार्रवाई से नहीं, बल्कि राजनीतिक पहल और संवाद से भी दिया जाना चाहिए।
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लोगों के दिलों में डर नहीं, भरोसा होना चाहिए
इल्तिजा मुफ़्ती ने कहा कि कश्मीर में हाल के वर्षों में राजनीतिक गतिविधियों और संवाद को जिस तरह से दबाया गया है, उससे हालात और बिगड़े हैं। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करना और स्थानीय लोगों को साथ लेकर चलना ही आतंकवाद के खिलाफ सबसे असरदार उपाय है।
उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वो केवल सैन्य समाधान पर निर्भर न रहकर स्थानीय नेतृत्व से बातचीत शुरू करे और घाटी में विश्वास बहाली की प्रक्रिया को प्राथमिकता दे।
आतंक का मुकाबला जनसहभागिता से हो
इल्तिजा ने कहा कि आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए सिर्फ पुलिस और सेना की ताकत काफी नहीं है। इसके लिए जरूरी है कि स्थानीय युवाओं को शिक्षा, रोज़गार और आत्मसम्मान का मौका मिले। उन्होंने कहा कि जब तक लोगों को यह महसूस नहीं होगा कि वे इस देश का अहम हिस्सा हैं, तब तक आतंकवाद की जमीन बनी रहेगी।
मीडिया और राजनीतिक दलों से संयम की अपील
इल्तिजा मुफ़्ती ने मीडिया और सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वो इस मसले पर राजनीति करने से बचें और शहीदों के परिवारों के प्रति संवेदनशीलता दिखाएं। उन्होंने कहा कि इस वक्त ज़रूरत है एकजुट होकर एक राष्ट्रीय नीति तैयार करने की, न कि एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने की।
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कश्मीर में भविष्य की ओर देखना होगा
इल्तिजा ने अंत में कहा कि कश्मीर को अतीत में नहीं, भविष्य की ओर देखने की ज़रूरत है। इसके लिए एक ऐसा रोडमैप तैयार करना होगा जिसमें शांति, समावेश और न्याय की गारंटी हो। उन्होंने कहा कि सिर्फ गोली और बारूद से नहीं, बल्कि संवाद, विकास और लोकतंत्र से ही घाटी में स्थायी शांति आ सकती है।