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राष्ट्र प्रेमः राष्ट्रीय ध्वज को दें सम्मान, नहीं तो हो सकती है सजा, अन्य ध्वज न हो तिरंगे से ऊंचा

By HO BUREAU 

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नई दिल्ली। भारत सरकार के अवर सचिव प्रेम प्रकाश ने 15 अगस्त पर फहराने जाने वाले राष्ट्रीय ध्वज को लेकर दिशा-निर्देश जारी किया है। उन्होंने कहा कहा है कि राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए इसे सम्मान मिलना चाहिए।

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सलामी देते समय राष्ट्रीय ध्वज को झुकाना अनुचित

निर्देश में कहा गया है कि तिरंगे को हमेशा सम्मान और आदर की स्थिति में रखा जाना चाहिए। क्षतिग्रस्त या अव्यवस्थित ध्वज को कभी भी नहीं फहराया जाना चाहिए। इसके अलावा  ध्वज को उल्टा करके नहीं फहराया जाना चाहिए, जिसमें केसरिया पट्टी सबसे नीचे हो। किसी व्यक्ति या वस्तु को सलामी देते समय राष्ट्रीय ध्वज को झुकाना अनुचित है।  किसी अन्य ध्वज को तिरंगे के ऊपर, उससे ऊंचा या उसके साथ नहीं रखा जाना चाहिए।यह भी ध्यान रखा जाए कि  जहां से ध्वज फहराया जाता है, वहां से ध्वज-मस्तूल पर या उसके ऊपर फूल, माला या प्रतीक रखने की अनुमति नहीं है।

अवर सचिव ने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग सजावट के लिए, तोरण, रोसेट या ध्वजा के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।  ध्वज को ज़मीन, फ़र्श या पानी की सतह को छूने से रोकें। अवर सचिव के अनुसार  अन्य झंडों के साथ एक साथ प्रदर्शन की अनुमति नहीं है। तिरंगा कमर के नीचे पहने जाने वाले कपड़ों या वर्दी का हिस्सा नहीं होना चाहिए, न ही इसे व्यक्तिगत वस्तुओं पर कढ़ाई या मुद्रित किया जाना चाहिए।

ध्वज पर नहीं होना चाहिए कोई अक्षर 

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इसके अलावा ध्वज पर कोई अक्षर नहीं होना चाहिए और इसका उपयोग वाहनों के किनारों, पीछे या ऊपर को ढकने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग, प्रदर्शन और फहराना भारतीय ध्वज संहिता, 2002 और राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 द्वारा सख्ती से परिभाषित किया गया है। तिरंगे को झुका कर नहीं पकड़ना चाहिए।

उन्होंने अपने निर्देश में कहा है कि नियमों का पालन न करने पर राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 की धारा-2 में राष्ट्रीय ध्वज के अपमान को रोकने के मकसद से सजा का प्रावधान है। इसके अनुसार जो व्यक्ति तिरंगे का अपमान करेगा, उसे 3 साल तक की जेल  या जुर्माना या फिर दोनों सजाएं हो सकती हैं।

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