ICMR की रिसर्च महाराष्ट्र के 19 मेडिकल कॉलेजों से कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं पर की गई है। अध्ययन के मुताबिक पुणे और मराठवाड़ा में कोरोना से पीड़ित गर्भवती महिलाओं की सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं में मृत्यु दर 0.8 फीसद (34/4203) थी।
नई दिल्ली, 16 सितंबर। कोरोना वायरस के संक्रमण से गर्भवती महिलाओं को अधिक खतरा है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने अपने एक अध्ययन में पाया कि कोरोना संक्रमित महिलाओं को तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है। ICMR ने महाराष्ट्र में गर्भवती महिलाओं पर सरकारी संस्थानों और अस्पतालों के सहयोग से ये अध्ययन किया।
गर्भवती महिलाओं में मृत्यु दर 0.8% रही
ये अध्ययन महाराष्ट्र के 19 मेडिकल कॉलेजों से कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं पर किया गया है। अध्ययन के मुताबिक पुणे और मराठवाड़ा में कोरोना से पीड़ित गर्भवती महिलाओं की सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं में मृत्यु दर 0.8 फीसद (34/4203) थी। अध्ययन में महामारी की पहली लहर (मार्च 2020-जनवरी 2021) के दौरान लिए गए 4,203 गर्भवती महिलाओं के डेटा का विश्लेषण किया गया। इनमें पाया गया कि 3,213 कोरोना संक्रमित महिलाओं ने जीवित बच्चे को जन्म दिया जबकि 77 को गर्भपात का सामना करना पड़ा। 834 ऐसे केस थे, जिनमें डिलिवरी ही नहीं हो पाई। 6 प्रतिशत भ्रूण बच्चे या जन्म के दौरान बच्चे की मौत हो गई।
वहीं रिसर्च के नतीजों के मुताबिक 534 महिलाएं यानी 13 फीसदी सिम्टोमैटिक थीं, जिनमें से 382 (72 फीसदी) को हल्की, 112 (21 फीसदी) को मध्यम जबकि 40 (7.5 फीसदी) को गंभीर कोविड-19 बीमारी थी। सबसे आम जटिलता जो देखी गई उनमें समय से पहले प्रसव के 528 मामले (16.3 फीसद) थे। ये ही नहीं गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप से ग्रस्त विकार के 328 केस (10.1 फीसद) पाए गए। ICMR ने पाया कि कुल 158 यानी 3.8 फीसद गर्भवती महिलाओं को गहन देखभाल की जरुरत थी। इनमें 96 फीसदी कोरोना के कारण थी।
ICMR ने गुरुवार को जारी अपने बयान में कहा है कि डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि कोरोना गर्भवती महिलाओं के उच्च अनुपात को संक्रमित कर सकता है। इसलिए कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य सेवा प्रणाली से तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेने की जरूरत है।
हिन्दुस्थान समाचार