उत्तराखंड में अलग-अलग जगहों में इस आपदा में अभी तक कुल 34 लोगों की मौत हो चुकी है, तो 5 से अधिक लोग लापता और कई घायल बताए जा रहे हैं।
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देहरादून, 19 अक्टूबर। उत्तराखंड में पिछले दो दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश से पहाड़ से लेकर मैदान तक में आई आपदा से जानमाल को काफी नुकसान पहुंचा है। राज्य में अलग-अलग जगहों में इस आपदा में अभी तक कुल 34 लोगों की मौत हो चुकी है, तो 5 से अधिक लोग लापता और घायल बताए जा रहे हैं।
उत्तराखंड में बारिश से 7 से अधिक भवन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हैं। 4 राष्ट्रीय राजमार्ग और 4 बॉर्डर मार्ग सहित करीब 80 ग्रामीण मोटर सहित कई मार्ग बाधित हैं। जिन्हें खोलने का काम जारी है। मुख्यमंत्री, मंत्री, डीजीपी ने नैनीताल, रुद्रपयाग्र सहित राज्य का हवाई सर्वेक्षण कर आपदा की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सरकार के लिए धैर्य का समय है। सरकार लोगों के साथ खड़ी है। वायुसेना के हेलीकाप्टर भी राहत बचाव कार्य में लगे हुए हैं।
आज आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहा हूँ और लोगों से उनका कुशलक्षेम जानकर स्थानीय प्रशासन द्वारा दी जा रही मदद का जायजा ले रहा हूँ।
हमारी सरकार इस संकट के दौर से गुजर रहे हर प्रदेशवासी के साथ 24 घंटे खड़ी है। pic.twitter.com/9QnmAAvw1G
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) October 19, 2021
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राज्य आपातकालीन परिचालन केन्द्र की जानकारी के मुताबिक कुमाऊं मंडल के नैनीताल जिले में कुल 18 लोगों की बारिश के कारण आपदा में मौत हुई है। एक लापता है और पांच लोग घायल हुए हैं। तीन भवन क्षतिग्रस्त हुए हैं। अल्मोड़ा जिले में 6 मौतें हुई हैं। एक लापता है और 2 भवन क्षतिग्रस्त हुए हैं। चंपावत में 1 मौत, 2-2 लापता और कुछ लोग घायल हुए हैं। एक भवन क्षतिग्रस्त हुआ है।
पहाड़ी इलाकों में बारिश पिछले 24 घंटे से कहर बनकर बरसी। दो दिनों के बाद देहरादून में मौसम साफ रहा, लेकिन कुमाऊं सहित पर्वतीय जनपदों तीसरा दिन प्रकृति का प्रलय लोगों पर भारी पड़ा। मंगलवार सुबह नैनीताल जिले के रामगढ़ में धारी तहसील में दोषापानी और तिशापानी में बादल फट गया। इससे नैनीताल में आई आपदा में 9 मजदूर एक ही घर में जिंदा दफन हो गए। नैनीताल में फंसे 150 लोगों और तीन रोडवेज सहित चार बसों को सुरक्षित निकाला गया। इस दौरान मजदूरों की झोपड़ी पर रिटेनिंग दीवार गिर गई, जिसमें 7 लोग मलबे में दब गए। चंपावत के तेलवाड़ में एक व्यक्ति भूस्खलन की चपेट में आने से मौत हो गई, जबकि तीन लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है।
उत्तराखंड में काल बनकर आई बारिश
राज्य में बारिश से टनकपुर चंपावत राष्ट्रीय राजमार्ग, स्वाली और भरतोली के पास भू-स्लखन से बाधित है। इसके अलावा ऋषिकेश, बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग, एनएच 58, कीमखोली, रडांग, कंचनगंगा, लामगढ़ के पास और ऋषिकेश गंगोत्री राजमार्ग (एनएच 108) सुक्खी के पास बाधित है, यमुनोत्री मार्ग खुल गया है। ऋषिकेश केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग छोटे बड़े वाहनों के लिए खुला हुआ है। टनकपुर पिथौरागढ़, राष्ट्रीय राजमार्ग, दिल्ली बैण्ड के पास मलबा आने से बाधित है। पिथौरागढ़ में 4 बॉर्डर मार्ग भी बाधित हैं। इन मार्गों को विभाग की ओर से खोलने का काम जारी है।
4 राष्ट्रीय राजमार्ग, 4 बॉर्डर सहित 90 से अधिक ग्रामीण मार्ग बाधित
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मंगलवार सुबह से ही राज्यभर के आपदाग्रस्त इलाकों के हवाई सर्वेक्षण के साथ भ्रमण पर हैं। रुद्रप्रयाग के साथ नैनीताल जनपद का भी दौरा किया। मुख्यमंत्री के साथ डीजीपी और आपदा मंत्री धन सिंह रावत भी हवाई सर्वेक्षण के दौरान साथ रहे।
इस मौके पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि सरकार संकट में लोगों के साथ पूरी मुस्तैदी से खड़ी है। उन्होंने बताया कि कई मंडलों का हवाई सर्वेक्षण कर आपदा से हुए नुकसान का जायजा लिया है। इसके साथ ही जिलाधिकारी भी अपने स्तर पर इसका आकलन करवा रहे हैं और राहत-बचाव कार्यों पर नजर रखे हुए हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राज्य को पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया है। यही नहीं राहत और बचाव कार्य में वायु सेना के हेलीकॉप्टर भी लग गए हैं।
कुमाऊं मंडल DIG नीलेश भरणे ने बताया कि नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर और रामगढ़ इलाके आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। NDRF, SDRF और PAC रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई हैं। एयर फोर्स के दो हेलीकॉप्टर भी रेस्क्यू ऑपरेशन में लगाए गए हैं। कुमाऊं मंडल में तेजी से आपदा राहत कार्य चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मौत के आंकड़ों में इजाफा हो सकता है।