रिम्स के डॉक्टरों को बाहर सेवाएं देने पर रोक लगाई गई है और इस बात की पुष्टि के लिए डॉक्टरों की निगरानी जासूस करेंगे। गवर्निंग बॉडी के इस फैसले से डॉक्टरों में प्रशासन के खिलाफ रोष उत्पन्न हो रहा है।
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रांची- रिम्स के 52वीं गवर्निंग बॉडी की बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में चिकित्सकों के निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाने को लेकर डिटेक्टिव एजेंसी के चयन पर मुहर लगी है। बैठक में इस एजेंडे पर मुहर लगने के बाद से चिकित्सक वर्ग में काफी नाराजगी है। एक स्वर में चिकित्सकों ने कहा कि चोर-मुजरिम या गुनहगारों के पीछे जासूस लगाए जाते हैं, लेकिन अब चिकित्सकों को भी उसी श्रेणी में रख कर गुप्तचर नियुक्त किए जाएंगे। यह हमारे प्रोफेशन के लिए घोर बेइज्जती है।
आरोप लगाने से गरीबों की देखभाल करने वाले नहीं मानेंगे जाएंगी अपराधी
आईएमए के स्टेट प्रेसिडेंट डॉ अशोक सिंह ने कहा कि अधिकारी जो निर्णय लेते हैं उन्हें पता होना चाहिए कि नौकरशाहों का भी विकल्प है। लेकिन डॉक्टरों का कोई विकल्प नहीं। सिर्फ आरोप लगाने पर गरीबों की देखभाल करने वाले को अपराधी नहीं मानना चाहिए।
डॉक्टरों के पीछे जासूस लगाना कोरोना काल में निस्वार्थ भाव से सेवा देने वाले डॉक्टरों की बेइज्जती की तरह
वही झारखंड स्टेट हेल्थ एसोसिएशन(झासा) के राज्य सचिव डॉ विमलेश ने कहा कि डॉक्टरों के पीछे जासूस लगाना कोरोना काल में निस्वार्थ भाव से सेवा देने वाले डॉक्टरों की घोर बेइज्जती है। ऐसा पूरा देश में कहीं नहीं पड़ रहा है।
चिकित्सकों के कार्यप्रणाली पर पड़ेगा असर- डॉ प्रभात
वहीं रिम्स टीचर एसोसिएशन के सदस्य डॉ प्रभात ने कहा कि रिम्स में शिक्षक अपनी पूरी तन्मयता के साथ सेवा देते हैं। इसके बाद भी इस तरह की बात आना दुर्भाग्यपूर्ण है। डॉ प्रभात ने कहा की इससे डॉक्टरों का मनोबल टूटेगा। प्रबंधन ने लोगों पर बाहर की जासूस को लगाने का जो निर्णय लिया है इससे सभी चिकित्सकों के कार्य प्रणाली पर बुरा असर पड़ेगा।