याचिका में कहा गया है कि कोरोना के चलते प्रवासी लोगों के भी रोजगार पर संकट आया है। इन प्रवासियों में अफगानी, रोहिंग्या, कांगो, सोमालिया, सूडान, ईरान, फलस्तीन और कैमरून के प्रवासी शामिल हैं। याचिका में कहा गया है कि संविधान का अनुच्छेद 21 शरणार्थियों के अधिकारों की रक्षा करता है।
नई दिल्ली, 29 नवंबर। सुप्रीम कोर्ट ने भारत में रह रहे प्रवासी लोगों को भोजन और दूसरी सुविधाएं देने की मांग पर नोटिस जारी किया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सहित दिल्ली, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, मणिपुर और मिज़ोरम को नोटिस जारी किया है।
वकील फजल अब्दाली ने याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि कोरोना के चलते प्रवासी लोगों के भी रोजगार पर संकट आया है। इन प्रवासियों में अफगानी, रोहिंग्या, कांगो, सोमालिया, सूडान, ईरान, फलस्तीन और कैमरून के प्रवासी शामिल हैं। याचिका में कहा गया है कि संविधान का अनुच्छेद 21 शरणार्थियों के अधिकारों की रक्षा करता है।
याचिका में कहा गया है कि कोरोना संकट के दौरान विदेशी प्रवासियों को कूड़ा चुनने पर मजबूर होना पड़ा है। कोरोना के दौरान सरकार ने उनकी सहायता के लिए कोई सरकारी योजना नहीं बनाई। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग की 31 जनवरी, 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में शरण चाहने वाले 2 लाख से ज्यादा लोग हैं। 2 हजार से ज्यादा शरणार्थी ऐसे हैं, जिनका पंजीकरण कोरोना की वजह से नहीं हो सका। याचिकाकर्ता ने दिल्ली, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, मणिपुर और मिजोरम के कई शिविरों में रह रहे शरणार्थियों की जानकारी जुटाने की कोशिश की है।
हिन्दुस्थान समाचार