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झारखण्ड में नहीं लग रहा ज़मीन दलालों पर शिकंजा, रोक के बावजूद भी ज़ारी है खास महाल ज़मीन की खरीद-बिक्री

खास महाल की जमीन राज्य सरकार की प्रतिबंधित सूची में भी शामिल है। इसके बावजूद आदेश का उल्लंघन करते हुए, लगभग दो दर्जन लोगों को इन ज़मीनों की रजिस्ट्री की जा चुकी है।

By इंडिया वॉइस 

Updated Date

झारखण्ड : राजधानी रांची में खास महाल की ज़मीन की खरीद और बिक्री गैर-कानूनी रूप से ज़ारी है, खास महाल की जमीन की रजिस्ट्री ना करने के आदेश के बाद भी भू- माफियाओं पर कोई शिकंजा नहीं लग पाया है।

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राजधानी में खास महाल जमीन के करीब 1400 प्लॉट हैं। पहले खास महाल जमीन की रजिस्ट्री होती थी। लेकिन, सरकार ने जमीन से संबंधित किसी भी तरह की रजिस्ट्री को रोकने का आदेश दिया। खास महाल जमीन की जानकारी भी रजिस्ट्री ऑफिस को भेजी गयी है। लेकिन इसके बावजूद भी जमीन दलालों पर प्रतिबन्ध लगाने में विभाग नाकाम नज़र आ रहा है।

 

क्या होता है खास महाल ? 

 

ब्रिटिश शासन के दौरान समय खास महल इस्टेट बना था। जमींदारी प्रथा जब समाप्त हुई थी तो उसके बाद जो ज़मीनें जब्त की गयी उनको भी इसमें शामिल किया गया था। इस जमीन पर भारत सरकार का अधिकार होता है। 60 के दशक में सरकार के द्वारा कुछ लोगों और संस्थानों को यह ज़मीन लीज पर दी गयी। उसके बाद भी रांची में करीब एक हजार लोगों को जीविकोपार्जन के लिए खास महाल की जमीन लीज पर दी गयी थी।

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प्रभात खबर की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, कांटाटोली के कोनका मौजा में खाता संख्या 878, एमएस प्लॉट नंबर 1027, थाना नंबर 198 की 572 कड़ी जमीन खासमहाल के रूप में चिह्नित है। वर्ष 1941 में अंग्रेजी सरकार द्वारा यह जमीन लीज की गयी थी। उसके बाद वर्ष 1966 में 30 वर्ष की लीज का नवीकरण भी हुआ। लेकिन उसके बाद से लीज का कोई भी नवीकरण नहीं किया गया है। जमीन दलाल जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बेच रहे हैं।

आपको बता दें कि खास महाल की जमीन राज्य सरकार की प्रतिबंधित सूची में भी शामिल है। इसके बावजूद आदेश का उल्लंघन करते हुए, लगभग दो दर्जन लोगों को इन ज़मीनों की रजिस्ट्री की जा चुकी है।

 

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