वायरस इसप्रकार म्युटेंट कर रहा है कि रोजाना सुबह और शाम में दवाई बदलने की नौबत आ जाती है, हालांकि सबकुछ जल्दबाजी में नहीं किया जाता है।
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उज्जैन शहर में अभी भी डेंगू, वायरल, मलेरिया के मरीजों की संख्या कम नहीं हुई है। प्रायवेट लैब की जांच में इन बीमारियों के मरीज लगातार पॉजीटिव आ रहे हैं। इस बीच ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिन्हे लक्षण तो उपरोक्त रोगों के हैं, बुखार भी 102 बना हुआ है, लेकिन रिपोर्ट सभी की निगेटिव आ रही है। डॉक्टर्स के समक्ष चैलेंज उपस्थित हो गया है कि क्या करें और क्या न करें? रूटिन के डोज ने काम करना बंद कर दिया है। डॉक्टर्स इसके उदाहरण भी दे रहे हैं।
अरबिंदों हॉस्पिटल के डॉ.रवि डोसी के अनुसार सारी रिपोर्ट्स निगेटिव्ह आने के बाद लक्षण डेंगू के आ रहे हैं। जोड़ों में सूजन, शरीर पर रेशेज,बुखार 102 से उपर जाना आदि, किन्तु रिपोर्ट्स निगेटिव्ह आने के बाद भी वही उपचार देना पड़ रहा है जो पॉजीटिव्ह को देते हैं। उनके अनुसार वायरस इसप्रकार म्युटेंट कर रहा है कि रोजाना सुबह और शाम में दवाई बदलने की नौबत आ जाती है, हालांकि सबकुछ जल्दबाजी में नहीं किया जाता है।
डॉ.एच पी सोनानिया के अनुसार अब डेंगू के लक्षण के साथ मरीजों को उल्टी,दस्त भी हो रहे हैं। बुखार 106 तक जा रहा है। मरीज को कंपकपी लगकर बुखार आना मलेरिया या वायरल में होता है, लेकिन अब डेंगू में भी हो रहा है। वायरस ने अपना म्युटेंट बदला है। ऐसे में मरीज के परीक्षण के बाद/रिपोर्ट्स देखने के बाद भी उपचार में समक्ष में उत्पन्न स्थितियों के आधार पर उपचार दिया जा रहा है। मरीज गंभीर भी हो रहे हैं वहीं जो ठीक होकर जा रहे हैं, वापस आ रहे हैं।
डॉ.शशांक मिश्र के अनुसार अब जो मरीज आ रहे हैं उनके फेफड़ों में संक्रमण आ रहा है। एक्स-रे सामान्य आता है वहीं सिटी स्केन करवाने पर संक्रमण आता है। इसीप्रकार यूरिन ट्रेक में संक्रमण के मामले भी बढ़ रहे हैं। इधर ऐसे मरीज भी आ रहे हैं जिनकी सारी रिपोर्ट्स निगेटिव्ह आने के बाद कोरोना एसिम्पटोमेटिक लक्षण दर्शा रहे हैं। परिजन पूछते हैं कि क्या डेंगू कोरोना के रूप में रिटर्न तो नहीं हुआ? हमारे पास कोई जवाब नहीं है।
डॉ.तारीक गौरी के अनुसार शहर के सारे हॉस्पिटल्स फुल हैं। बेड की मारामारी है। आयसीयू तो फुल ही चल रहे हैं। अब डेंगू के मरीजों को या उसके लक्षणवाले मरीजों को ऑक्सीजन भी देना पड़ रही है। ऐसे में यह तय करना मुश्किल है कि शरीर में क्या चल रहा है? उपचार रोजाना बदलना पड़ता है। पहले बुखार को सुमोल से नियंत्रित कर लिया जाता था,अब वायरस उसे भी पचा रहा है।
आरोप पहले कोरोना के आंकड़े छिपाए, अब डेंगू के छिपा रहे
अब मरीजों के परिजन आरोप लगा रहे हैं कि सरकार ने पहले कोरोना के आंकड़े छिपाए,अब डेंगू के छिपाए जा रहे हैं। अवनिश नागर के अनुसार उनके बेटे की रिपोर्ट सरकारी निगेटिव्ह और प्रायवेट में दो बार पॉजीटिव्ह आई। मजबूरन उसे प्रायवेट में उपचार दिलवाना पड़ा,क्योंकि सरकारीवाले मान ही नहीं रहे थे कि डेंगू है? कोरोना के समय भी ऐसा ही हुआ और आंकड़े कम किए गए। अब डेंगू में कम किए जा रहे हैं।
विपिन त्रिवेदी के अनुसार सरकारी हॉस्पिटल में प्रायवेट रिपोर्ट पॉजीटिव्ह आने पर मान्य नहीं की जा रही है। चौंकानेवाली बात यह है कि पिछले सात दिन में डेंगू के सेम्पल भी सरकारी अस्पताल में कम लिए जा रहे हैं। भरोसा न हो तो आंकड़े सार्वजनिक करवाकर देखा जा सकता है। जबकि भर्ती मरीजों की संख्या पहले जैसी है।
इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ.पी.एन.वर्मा का कहना है कि ऐसा नहीं है। डॉक्टर को लगता है कि डेंगू हो सकता है, तभी सेम्पल लिए जाते हैं। रही बात प्रायवेट लेब की तो शासन के निर्देश हैं कि सरकारी लैब की रिपोर्ट मान्य की जाए। हम आदेश का पालन करने को बाध्य हैं।