तिलयुगा ,खारो व जीताधार नदी कहर से हजारों एकड़ में लगी धान कि फसल बर्बाद. कई खेतों में भी बालू जमा.
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बिहार, 24 अक्टूबर। किसानों के लिए नदिया वरदान मानी जाती है , लेकिन निर्मली प्रखंड के कुनौली , कमलपुर औऱ डगमारा सहित अन्य पंचायतों के इलाकों में स्थिति , ठीक विपरीत है ।यहां तिलयुगा ,खारो व जीताधार नदी के कहर से तीन पंचायतों के किसानों की कमर टूट गयी है । उनकी खुशियां काफूर हो चुकी है । हजारो एकड़ से अधिक भूमी बेकार हो गयी है । खेतों में जल जमाव के कारण सम्पन्न किसानों के समक्ष आज मजदूरों के हालात जैसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है ।
दरअसल 17 अक्टूबर को इन तीनो पंचायतों में आई बाढ़ से किसानों की धान की फसल भारी क्षति हुई है । बाढ़ के जलस्तर को देखकर किसानों की परेशानी बढ़ गई । सरकारी अधिकारियों का दौरा इन इलाकों में था लेकिन आपदा सुविधा के नाम पर खानापूर्ति की जा रही थी । खैर जो भी हो , फिलहाल किसानों के समक्ष बर्बादी की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है ।
आज इनके द्वारा लगायी गयी धान की फसल को बाढ़ के कहर ने बर्बाद कर दिया है ।इन किसानों की एक हजार एकड़ से ज्यादा धान की फसल बर्बाद हो गयी है । कुनौली पंचायत के बॉर्डर व शांति वन से लेकर कमलपुर पंचायत में जल संसाधन विकास विभाग के समानांतर बांध ,नेपाल के लालापट्टी से लेकर लोहापुल तथा डगमारा पंचायत के पिपराही, सिकरहट्टा ,चुटियाही,नवका टोल,सोनापुर,राजपुर गांव के इलाकों की धान की फसल शत -प्रतिशत बर्बाद हो गई है । जबकि धान की फसल यहां की मुख्य फसल है ।जिस वजह से किसानों के समक्ष विकट परिस्थिति उत्पन्न हो गई । धान की फसल तो गई और खेत में बालू भी भर गया । साथ ही जल जमाव की स्थिति भी उत्पन्न हो गई है ।
बाढ़ ने बना दिया कंगाल
किसान सत्य नारायण कामत ,राम कारण कामत ,रामचंद्र यादव , मुन्ना मेहता आदि कहते है की बाढ़ के समस्या से भी अब विकट परिस्थिति उत्पन्न हो रही है ।सभी किसानों के मंसूबे पर पानी फेर दिया । इस बाढ़ ने भूखमरी की कगार पर लाकर छोड़ दिया है । फसल क्षति के निरिक्षण के दौरान डीएओ समीर कुमार ने कहा कि बाढ़ से यहां के किसानों की काफी क्षति हुई हैं।किसान सलाहकार और कोर्डिनेटर से फसल क्षति का सर्वे करने का निर्देश दिया गया हैं ।