इस फैसले के बाद से अब उन नेताओं की दिक्कतें बढ़ गई हैं जिनके परिवार में टिकट के दावेदारों की संख्या अधिक है।
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Assembly Election 2022 : उत्तराखंड में विधान सभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने टिकट के दावेदारों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। आपको बता दें कि भाजपा ने आगामी चुनाव से पहले ‘एक परिवार-एक टिकट’ का फॉर्मूला लागू करने का फैसला किया है। लिहाजा पार्टी के इस फैसले के बाद से अब उन नेताओं की दिक्कतें बढ़ गई हैं जिनके परिवार में टिकट के दावेदारों की संख्या अधिक है। फैसला आने के बाद से अब इन नेताओं ने अन्य विकल्पों को तलाश शुरू कर दी हैं।
असल में आगामी चुनाव से पहले कुछ भाजपा के कुछ दिग्गज नेता इन दिनों पार्टी पर दबाव बना रहे हैं कि उनके बेटे या रिश्तेदारों को टिकट दी जाए। जबकि पार्टी में टिकट के दावेदारों की पहले से ही कतार लगी हुई है। यही कारण है कि भाजपा इन नेताओं या इनके रिश्तेदारों को टिकट देकर अपने कार्यकर्ताओं को नाराज नहीं करना चाहती। इसीलिए पार्टी ने अब फैसला लिया है कि प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में ‘एक परिवार एक पार्टी’ का नियम लागू होगा।
पार्टी के बड़े दिग्गज नेताओं की इस श्रेणी में सबसे आगे धामी सरकार के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत सबसे आगे हैं। बता दें कि हरक सिंह अपनी बहु के लिए लैंसडाउन की मांग कर रहे हैं। जबकि मंत्री जी खुद कोटद्वार से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। वहीं इसके अलावा राज्य के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज अपने बेटे को चुनावी मैदान में उतारने का मन बना रहे हैं। बता दें कि ‘सतपाल महाराज‘ अपने बेटे सुयश की राजनीति में एंट्री कराने को लेकर पार्टी से अपनी इच्छा जाहिर कर चुके हैं। इसके अलावा पार्टी के अन्य बड़े नेता भी अपने रिश्तेदारों को चुनाव में उतारने का मन बना रहे हैं।