शनिवार को 11 बजे सदन की कार्यवाही प्राम्भ होते ही सदन में विपक्षी विधायकों ने सरकार को रोजगार के आंकड़े पर घेरा।
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देहरादून, 11 दिसम्बर। उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन शनिवार को सदन में बेरोजगारी के आंकड़े और विशेषाधिकार हनन को लेकर सत्र हंगामा के साथ शुरू हुआ। इस दौरान विशेषाधिकार हनन समिति के कार्यों पर सत्ता पक्ष और विपक्षी सदस्यों ने सवाल उठाए गए। इस हंगामा के चलते सदन को साढ़े बारह बजे के लिए स्थगित कर दिया गया।
शनिवार को 11 बजे सदन की कार्यवाही प्राम्भ होते ही सदन में विपक्षी विधायकों ने सरकार को रोजगार के आंकड़े पर घेरा। काजी निजामुद्दीन के नोटिस के बाद कांग्रेस के अन्य विधायक भी बोलने लगे। हंगामें को बढ़ता देख पीठ की ओर से अन्य सदस्यों को बिना नोटिस सदन में नहीं बोलने को कहा गया। इस पर संसदीय मंत्री बंशीधर भगत ने कहा कि रोजगार को लेकर सरकार का आंकड़ा सही है। इस पर नेता प्रतिपक्ष और काजी निजामुद्दीन ने संसदीय मंत्री के 10 लाख और 7 लाख के हरक सिंह रावत के आंकड़ों को गुमराह करने वाला बताया।
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विपक्ष के सवालों के जवाब में संसदीय मंत्री ने बताया कि विपक्ष के नेता सरकार की बात को समझने का प्रयास करें। प्रदेश में बेरोजगारों को 10 लाख रोजगार दिए गए हैं, हालाँकि आंकड़ा इससे ज्यादा भी हो सकता है। आपको बता दें कि मंत्री ने 7 लाख के अलावा अतिरिक्त 3 लाख भी बताए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से आंकड़े और स्थिति दोनों ही स्पष्ट है, इसमें कोई आंकड़ा गलत नहीं है। सत्ता पक्ष के खानपुर विधायक कुंवर प्रणव चौम्पियन, किच्छा विधायक राजेश,देशराज कर्णवाल सहित अन्य विधायकों ने विशेषाधिकार को लेकर सवाल उठाए। इस दौरान चैम्पियन बेल में आ गए।
इसके ठीक बाद राजेश शुक्ला ने अधिकारियों से अपमान करने के मामले को उठाते हुए अभी निर्णय की मांग की। इस दौरान सत्ता के साथ विपक्ष को भी सरकार को घेरने को मौका मिल गया। इस पर नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि विधायकों को विशेषाधिकार समिति पर समय रहते कार्य करना चाहिए। किसी कारणवश समिति गठित नहीं हुई तो समिति तो भविष्य में भी इस पर काम करे इसके लिए पीठ का समुचित निर्देश होना चाहिए।
विधायक राजेश शुक्ला ने कहा कि मुझे दो अलग अलग बैठकों में अपमानित किया गया। फिर भी अभी तक कार्रवाई नहीं हो पाई। विशेषाधिकार समिति में कौन-कौन है। मुझे प्रभारी मंत्री के सामने भरी बैठक में अपमानित किया गया। उस समय प्रभारी मंत्री मदन कौशिक थे। विधायक ने साफ़ तौर पर पूछा कि समिति गठित हुई की नहीं ? अगर हुई तो कौन कौन सदस्य हैं, उनका नाम बताया जाए। उन्होंने सरकार पर अविश्वास जताते हुए कहा कि अब कैसे विश्वास किया जाए कि समिति कार्रवाई करेगी। इधर साल भी ख़त्म हो रहा है और सरकार का कार्यकाल भी। विधायकों के हंगामा को देखते हुए सदन को दोपहर साढ़े बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।
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