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उत्तराखंड सियासत : जिंदगी की जब कोई गारंटी नहीं, तो फिर पार्टी की कैसे – हरक सिंह रावत

एक वक्त पहले कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ भाजपा में शामिल हुए नेता अब फिर कंग्रेस पार्टी की तरफ तेज़ी से रुख अपनाते हुए नज़र आ रहे हैं।

By इंडिया वॉइस 

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उत्तराखंड,27 अक्टूबर उत्तराखंड की राजनीति में इन दिनों सब कुछ ठीक ठाक चलता नज़र नहीं आ रहा है। प्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होना है उससे पहले उत्तराखंड की राजनीती में सियासी उठापटक का दौर तेज़ी से पैर पसार रहा है। एक वक्त पहले कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ भाजपा में शामिल हुए नेता अब फिर कंग्रेस पार्टी की तरफ तेज़ी से रुख अपनाते हुए नज़र आ रहे हैं।

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सियासी उठापटक के इस दौर में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह और पूर्व सीएम हरीश रावत के बीच पिछले कुछ दिनों से चल रही जुगलबंदी से बीजेपी की टेंशन बढ़ती हुई नज़र आ रही है। आपको बता दें कि हरक सिंह रावत के कांग्रेस में जाने की संभावनाओं को लेकर बीजेपी इन दिनों बेचैन है। भाजपा लगातार उत्तराखंड की सियासत में होने वाले डैमेज को कंट्रोल करने की तैयारी में लगी हुई है।

जीवन की गारंटी नहीं तो पार्टी की कैसे

हालाँकि बीजेपी की तरफ से भले ही इस बात का दावा लगातार किया जा रहा हो कि संगठन और सरकार में सब कुछ सही चल रहा है, लेकिन कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के बयानों से तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा है। आपको बता दें कि हरक सिंह रावत और हरीश रावत के बीच बढ़ रही करीबियों के बारे में जब पूछा गया तो इसपर हरक सिंह रावत ने तो इशारे-इशारे में यह कह दिया है कि ‘जब जीवन की गारंटी नहीं तो पार्टी की कैसे हो सकती है’ ?

दरअसल आपको बता दें कि मंगलवार को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के बीच मदन कौशिक के आवास पर लंबी चर्चा हुई है। मदन कौशिक से मिलने के बाद जब हरक सिंह बाहर आए और उनसे हरीश रावत से नजदीकियों को लेकर सवाल किया गया तो इस पर हरक सिंह रावत ने कहा कि ये तो बढ़िया बात है कि दो रावतों में बातचीत हो रही है।

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सिर्फ इतना ही नहीं इस सवाल पर हरक सिंह रावत ने आगे कहा कि उन्होंने कभी बड़े भाई को कुछ गलत नहीं कहा। हरक ने कहा कि मैंने हरीश रावत को बरगद का पेड़ जरूर कहा था, लेकिन वो पॉजिटिव था। इस दौरान उन्होंने बरगद के पेड़ की खूबियां भी गिना दी। आपको बता दें कि हाल ही में हरीश रावत और हरक सिंह रावत के बीच दो बार फोन पर बातचीत हुई है। जिसके बाद से उत्तराखंड में सियासी हलचल तेज हो गई है।

भविष्य की कोई गारंटी नहीं होती

वहीं, जब उनके कांग्रेस में जाने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि, वो अभी कहीं नहीं जा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि फिलहाल वो बीजेपी में ही हैं, हालांकि भविष्य की कोई गारंटी नहीं होती। मदन कौशिक और हरक सिंह रावत के बीच मदन कौशिक के आवास पर करीब 02 घण्टे तक चली बातचीत के बाद मदन कौशिक ने हरक सिंह रावत के कांग्रेस में जाने की चर्चाओं को खारिज किया। उन्होंने कहा कि, हरक सिंह मूल भाजपाई हैं। उनकी राजनीति की शुरुआत ही एबीवीपी से हुई। हरक कांग्रेस में नहीं जाने वाले।

सियासी अटकलों के पीछे क्या है असल वजह

हरक सिंह रावत का कांग्रेस पार्टी की तरफ हो रहे झुकाव के पीछे कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। उनमें से कुछ जो बेहद ही महत्वपूर्ण है वो है !

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1. हरक सिंह रावत की कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह के साथ फ्लाइट में मुलाकात।

2. दिल्ली में उमेश काउ और हरक सिंह रावत की प्रीतम सिंह के साथ बैठक भी कहीं न कहीं इस ओर इशारा कर रही है कि आने वाले दिनों  में हरक सिंह रावत कांग्रेस पार्टी में वापस से जा सकते हैं।

3. इसके अलावा कर्मकार बोर्ड में वर्चस्व की लड़ाई लड़ना भी यह दर्शाता है कि हरक सिंह का रुझान कांग्रेस पार्टी की तरफ हो रहा है।

4. इसक अतिरिक्त सबसे महत्वपूर्ण हरक सिंह रावत का हरीश रावत को बड़ा भाई कहना और उनसे माफी मांगना ये साफ़ करता है कि आने वाले दिनों में हरक सिंह रावत एक बार फिर कांग्रेस की शरण में जा सकते हैं।

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