Booking.com

राज्य

  1. हिन्दी समाचार
  2. ख़बरें जरा हटके
  3. अपनी जिंदगी के आखिरी समय में अल्फ्रेड नोबेल को क्यों था पश्चाताप ? पढ़े आगे

अपनी जिंदगी के आखिरी समय में अल्फ्रेड नोबेल को क्यों था पश्चाताप ? पढ़े आगे

आज के इतिहास में जानें नोबेल पुरस्कार के संस्थापक अल्फ्रेड नोबेल को अंतिम समय में पश्चाताप क्यों था?

By इंडिया वॉइस 

Updated Date

तबाही का सामान, शांति का संदेशः मानवता और शांति के लिए उल्लेखनीय कार्य करने वाली शख्सियतों को नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) से सम्मानित किया जाता है। दशकों से दुनिया भर में इस पुरस्कार की साख और उसका सम्मान रहा है। यह आश्चर्य की बात है कि जिस व्यक्ति के नाम पर यह पुरस्कार दिया जाता है, उसी अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल ने तबाही फैलाने वाले डायनामाइड (dynamite) का आविष्कार भी किया था।

पढ़ें :- चांद पर लहराया तिरंगाः चंद्रयान-3 की सफल लैडिंग, भारत ने रचा इतिहास, दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत दुनिया का पहला देश बना  

अल्फ्रेड नोबेल का जन्म स्वीडन में 21 अक्टूबर 1833 में हुआ। डायनामाइड के आविष्कार को लेकर इस जुनूनी वैज्ञानिक का दावा था कि यह शांति लाएगा- मेरा डायनामाइड दुनिया में होने वाले हजारों सम्मेलनों से जल्दी शांति ला देगा।

नोबेल का यह दावा भले सही न हुआ हो लेकिन डायनामाइड ने माइनिंग के क्षेत्र में जरूर क्रांति ला दी। अपने आखिरी समय में डायनामाइड के आविष्कार को लेकर अल्फ्रेड नोबेल (Alfred Nobel) को पश्चाताप भी था। 10 दिसंबर 1896 को इटली के सेनरमो शहर में अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु हो गई।

 

कब हुई थी नोबेल पुरस्कार देने वाले फाउंडेशन की शुरूआत

मृत्यु से एक साल पूर्व 1895 के उनके वसीयतनामे के मुताबिक उनकी 9200000 डॉलर की संपत्ति से मिलने वाले ब्याज से मानवता और शांति के लिए अद्वितीय काम करने वालों को पुरस्कृत किया जाएगा। 1900 में नोबेल फाउंडेशन की स्थापना हुई और 10 दिसंबर 1901 में पहली बार नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत हुई। सर्वप्रथम भौतिकी, रसायन शास्त्र, मेडिसिन, साहित्य व शांति के क्षेत्र में पुरस्कार दिये गए। 1969 में पुरस्कारों की श्रेणी में अर्थशास्त्र को भी शामिल कर लिया गया।

पढ़ें :- INDIA VOICE KI SPECIAL REPORT ः जानिए आजादी के जश्न का इतिहास, बिस्मिल्लाह खां के शहनाई धुन से हुई थी आजादी की पहली सुबह की शुरुआत

नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले को तकरीबन साढ़े चार करोड़ की राशि दी जाती है। इसके साथ 23 कैरेट सोने से बना 200 ग्राम का पद और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है। पदक के एक ओर अल्फ्रेड नोबेल की तस्वीर और उनके जन्म व मृत्यु की तारीख लिखी होती है। पदक के दूसरी तरफ यूनानी देवी आइसिस का चित्र, रॉयल एकादमी ऑफ साइंस स्टॉकहोम और पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति के बारे में जानकारी होती है।

अन्य अहम घटनाएंः

1870ः प्रसिद्ध इतिहासकार यदुनाथ सरकार का जन्म।

1878ः अधिवक्ता, लेखक और राजनीतिज्ञ चक्रवर्ती राजगोपालाचारी का जन्म।

1888ः स्वतंत्रता सेनानी प्रफुल्लचंद चाकी का जन्म।

पढ़ें :- एनसीआरटी (NCERT) की किताबों से कुछ चैप्टर हटाये जाने को लेकर क्यों छिड़ा विवाद ?

1902ः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष एस. निजलिंगप्पा का जन्म।

2001ः वयोवृद्ध दिग्गज अभिनेता अशोक कुमार का निधन।

2009ः मराठी लेखक व आलोचक दिलीप चित्रे का निधन।

2018ः भारतीय इतिहासकार व जामिया मिलिया इस्लामिया विवि के कुलपति मुशीरुल हसन का निधन।

और पढ़ें – हेलीकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स दुर्घटनास्थल से बरामद, फॉरेंसिक टीम ने शुरू की जांच

पढ़ें :- Nobel Prize 2022: स्वंते पाबो को फिजियोलॉजी/मेडिसिन के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया
इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook, YouTube और Twitter पर फॉलो करे...
Booking.com
Booking.com
Booking.com
Booking.com