Written & Edited by SANJAY KUMAR SRIVASTAVA
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नोएडा। सातवें और अंतिम चरण के लिए मतदान होना है। बात उत्तर प्रदेश की करें तो इस चरण में 01 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के साथ ही मीरजापुर, बलिया, गाजीपुर, गोरखपुर व चंदौली समेत कुल 13 सीटों पर 144 प्रत्याशियों की परीक्षा होने जा रही है। मोदी के आने से यह सीट VVIP बन चुका है। आसपास के 16 जिलों में BJP का प्रभाव बढ़ा है।
इस बार मोदी के सामने कांग्रेस से अजय राय प्रत्याशी हैं, जो 2009 में मुरली मनोहर जोशी और 2014 व 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चुनाव हार चुके हैं। इन्हें सपा का समर्थन है। बसपा से इस बार अतहर लारी करीब 20 प्रतिशत मुस्लिम वोटों के भरोसे मैदान में उतरे हैं। इस बार मोदी को हराने के लिए विपक्ष नहीं लड़ रहा, बल्कि उनका वोट प्रतिशत कम करने के लिए मैदान में है।
वाराणसी सीट पर BJP को 2009 में कुल 30.52%, 2014 में 56.75 % और 2019 में 63.62% मत मिले थे। इस तरह से देखा जाए तो BJP का मत प्रतिशत लगातार बढ़ा है। इसी बढ़ते मत प्रतिशत को रोकने के लिए ही इंडिया गठबंधन पूरे दमखम के साथ मैदान में है। भाजपा के भी आधा दर्जन से अधिक केंद्र व प्रदेश सरकार के मंत्री बनारस में डेरा जमाए हैं। गली-गली प्रचार चल रहा है।
भाजपा नेता मोदी को जिताने के लिए नहीं, वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए लगे हैं। मिर्जापुर की सांसद अनुप्रिया पटेल ने दावा किया कि इस बार नरेंद्र मोदी और भी भारी मतों से जीत रहे हैं। वाराणसी में विकास को देखते हुए उन्हें सभी वर्गों का समर्थन मिल रहा है।
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varanasi lok sabha map
अनुप्रिया पटेल ने कहा- विपक्ष तो पहले ही हार चुका है, मोदी के बढ़ते मत प्रतिशत को रोकने के लिए विपक्ष मैदान में
अनुप्रिया ने कहा कि विपक्ष तो पहले ही हार चुका है। इंडिया गठबंधन का प्रत्याशी तो केवल अपने अस्तित्व को बचाने और मोदी के बढ़ते मत प्रतिशत को रोकने के लिए मैदान में है। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय ने दावा किया कि मोदी से लोग काफी आक्रोशित हैं। विकास के नाम पर बनारस के लोगों को छला गया है। यहां पर उन्हें जनता का पूरा समर्थन मिल रहा है।
सांस्कृतिक व आध्यात्मिक नगरी बनारस उत्तर प्रदेश के धुर पूरब में राजनीतिक समीकरणों को भी काफी प्रभावित करता है। यहां से पंडित कमलापति त्रिपाठी, श्यामलाल यादव और डॉ. संपूर्णानंद जैसे नेताओं ने अपने विकास रूपी सोच को समाज के सामने रखा। नरेंद्र मोदी ने इसे शिखर तक पहुंचाया है।
सन् 2014 में बनारस से अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ने वाले मोदी ने अपना तीसरा लोकसभा चुनाव लड़ते-लड़ते काशी को पूरे पूर्वांचल की राजनीति का केंद्र बना दिया है। बनारस से मोदी के चुनाव लड़ने के कारण पूर्वांचल के लोग स्वत: ही भाजपा की ओर आकर्षित हो जाते हैं। आप मीरजापुर, चंदौली, ज्ञानपुर से लेकर आजमगढ़, गाजीपुर या जौनपुर कहीं भी चले जाएं, शानदार सड़कों का जाल आपका मन मोह लेता है। भाजपा जहां काशी विश्वनाथ कारिडोर के जरिए विश्व पटल पर बनारस को सांस्कृतिक व आध्यात्मिक गौरव दिलाने की बात करती है तो वहीं कांग्रेस के अजय राय यहां की सांस्कृतिक विरासत को नष्ट करने का आरोप लगाते हैं।
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2014 में मोदी ने केजरीवाल को 3,71,784 मतों से हराया था
मोदी ने 2014 में ‘आप’ के संयोजक व दिल्ली के मौजूदा CM केजरीवाल को 3,71,784 मतों के अंतर से हराया था। नरेंद्र मोदी को कुल 5,81,022 वोट मिले थे जबकि अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 मत मिले थे। कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय 75,614 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थे। वो जमानत तक नहीं बचा सके थे। बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी विजय प्रकाश जायसवाल चौथे स्थान पर थे, उन्हें 60,579 मत मिले थे। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी कैलाश चौरसिया 45,291 मतों के साथ पांचवें स्थान पर रहे।
2019 में मोदी ने चार लाख से ज्यादा मतों से दर्ज की थी जीत
2019 में वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6,74,664 वोट पाकर जीत हासिल की थी। उन्होंने करीब चार लाख से ज्यादा के मार्जिन से जीत दर्ज की थी। समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव 1,95,159 वोट पाकर दूसरे स्थान पर थीं। जबकि कांग्रेस के अजय राय 1,52,548 वोट पाकर तीसरे स्थान पर थे।
वाराणसी लोकसभा सीट का जातीय समीकरण
वाराणसी लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात की जाए तो यहां पर गैर यादव OBC कुर्मी जाति की संख्या काफी ज्यादा है। संसदीय क्षेत्र के रोहनिया और सेवापुरी विधानसभा क्षेत्र में कुर्मी वोटरों की संख्या काफी ज्यादा है। इसके अलावा ब्राहमण और भूमिहार मतदाता भी काफी संख्या में हैं। रोहनिया और सेवापुरी विधानसभा सीटों पर भी भाजपा का ही कब्जा है। यहां 4 लाख से ज्यादा OBC वोटर हैं। इनमें से करीब 3 लाख कुर्मी वोटर हैं। इसके अलावा 2 लाख के करीब वैश्य, 1.5 लाख भूमिहार के अलावा 1 लाख के करीब यादव वोटर हैं। जबकि करीब 3.5 लाख मुस्लिम मतदाताओं की संख्या है। अगर देखा जाए तो इस सीट पर मुसलमान, यादव और दलित वोटों का कुल योग 50 फीसदी से ज्यादा है।
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सपा और बसपा का अब तक नहीं खुला खाता
अबतक हुए 17 लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो वाराणसी में अभी तक सपा और बसपा का खाता तक नहीं खुला। 7 बार कांग्रेस और 7 बार भाजपा ने जीत दर्ज की है। इसके अलावा एक-एक बार जनता दल और CPM उम्मीदवार को भी जीत नसीब हुई है। भारतीय लोकदल ने भी इस सीट पर एक बार जीत दर्ज की है। जबकि सपा और बसपा ने अभी तक जीत का स्वाद नहीं चखा है।