अमेरिका में राहुल गांधी का आरोप: “चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं, भारत में लोकतंत्र खतरे में”
नई दिल्ली/वॉशिंगटन:
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं और वहां उन्होंने एक बार फिर ऐसा बयान दिया है जिससे भारतीय राजनीति में हलचल मच गई है। अमेरिका में भारतीय प्रवासियों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने चुनाव आयोग (Election Commission of India) की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए और चुनाव प्रक्रिया में अनियमितता के आरोप लगाए।
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राहुल गांधी ने कहा, “भारत का लोकतंत्र सिर्फ कागज पर रह गया है। जो संस्थान निष्पक्ष होने चाहिए, जैसे चुनाव आयोग, वो आज केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं।”
“मीडिया और संस्थानों पर नियंत्रण”
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में भारतीय मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि आज का मीडिया सत्ताधारी पार्टी का प्रचार माध्यम बन चुका है। “हमने देखा है कि किस तरह से विपक्ष की आवाज को दबाया जाता है और चुनिंदा लोगों को ही मंच दिया जाता है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र के चार स्तंभ – मीडिया, न्यायपालिका, चुनाव आयोग और संसद – आज खतरनाक दबाव में हैं और सही मायनों में काम नहीं कर पा रहे।
चुनाव आयोग पर सीधा हमला
यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी ने Election Commission की भूमिका पर सवाल उठाए हों। इससे पहले भी उन्होंने कई चुनावों के दौरान आयोग पर पक्षपात के आरोप लगाए थे। लेकिन इस बार यह बयान विदेशी धरती से दिया गया, जिस पर बीजेपी समेत कई दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
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राहुल गांधी का कहना था कि, “हमने ऐसे कई उदाहरण देखे हैं जब आयोग ने निष्पक्ष कार्रवाई करने की बजाय सत्तारूढ़ पार्टी के पक्ष में काम किया।”
बीजेपी का पलटवार: “भारत को बदनाम करने की साज़िश”
राहुल गांधी के इस बयान पर बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जताई है। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “राहुल गांधी बार-बार विदेश जाकर भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं पर सवाल उठाकर देश की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान पहुंचाते हैं।”
बीजेपी नेताओं ने इसे “भारत के लोकतंत्र की गरिमा के खिलाफ़ षड्यंत्र” बताया और कहा कि कांग्रेस अब जनता का विश्वास खो चुकी है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय मंचों से देश को बदनाम कर रही है।
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया?
चुनाव आयोग की तरफ से अब तक इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक आयोग इस प्रकार के आरोपों को पूरी तरह असंवैधानिक और तथ्यहीन मानता है। चुनाव आयोग का कहना है कि वह भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
विपक्ष की रणनीति या वैश्विक दबाव की कोशिश?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी का यह बयान केवल आलोचना का हिस्सा नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक प्रयास है ताकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की लोकतांत्रिक स्थिति पर चर्चा को बढ़ावा मिल सके।
कुछ जानकार इसे कांग्रेस की वैश्विक लॉबिंग रणनीति का हिस्सा भी मानते हैं।
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निष्कर्ष:
राहुल गांधी के अमेरिका में दिए गए इस बयान ने एक बार फिर भारत में चुनावी निष्पक्षता और लोकतंत्र की स्थिति पर बहस छेड़ दी है। जहां कांग्रेस इसे ‘सच बोलने का साहस’ मानती है, वहीं भाजपा इसे देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की चाल करार दे रही है। आने वाले चुनावों में ये मुद्दा कितना असर डालेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।