चीन की नामकरण राजनीति: अरुणाचल प्रदेश को लेकर नई साजिश
भारत और चीन के बीच चल रही LAC (Line of Actual Control) विवाद की पृष्ठभूमि में, चीन ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश के कई इलाकों के नाम बदलने का विवादित कदम उठाया है। इस बार यह नामकरण ऐसे समय पर किया गया है जब भारत का पाकिस्तान के साथ भी राजनयिक तनाव अपने चरम पर है। चीन ने हाल ही में अपनी सरकारी मीडिया के जरिए अरुणाचल प्रदेश के लगभग 30 से ज्यादा स्थानों के नए नाम जारी किए हैं, जिनमें गांव, पर्वत, नदियाँ और पास शामिल हैं। बीजिंग ने इन्हें “मानकीकरण” प्रक्रिया का हिस्सा बताया है, जबकि भारत ने इसे स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है और रहेगा।
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भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन के इस कदम को एकतरफा और अस्वीकार्य बताया। मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “चीन का इस प्रकार से नाम बदलना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई वैधता नहीं रखता। अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा था, है और रहेगा।” भारत के इस कड़े बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि देश क्षेत्रीय अखंडता पर कोई समझौता नहीं करेगा।
पाकिस्तान तनाव के बीच चीन का एजेंडा
विश्लेषकों का मानना है कि यह नामकरण केवल जियोपॉलिटिकल दबाव बनाने का प्रयास नहीं है, बल्कि पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्तों में चल रहे तनाव का फायदा उठाकर भारत को द्वंद्व में उलझाने की रणनीति है। चीन और पाकिस्तान की घनिष्ठता जगजाहिर है, और ऐसे समय में जब भारत दोनों मोर्चों पर सतर्क है, चीन का यह कदम एक रणनीतिक दांव माना जा रहा है। इससे पहले भी चीन 2017, 2021 और 2023 में इसी तरह के नकली नाम जारी कर चुका है, जिन्हें भारत ने हर बार खारिज कर दिया।
वैश्विक प्रतिक्रिया और भारत का रुख
जहाँ एक ओर चीन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने यह दिखाना चाहता है कि वह इस क्षेत्र पर अधिकार रखता है, वहीं वैश्विक मंचों पर इस तरह की हरकतें उसकी छवि को नुकसान पहुंचा रही हैं। संयुक्त राष्ट्र के किसी भी दस्तावेज़ में चीन के दावों को मान्यता नहीं मिली है। भारत अब इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक मजबूती से उठाने की तैयारी कर रहा है। अमेरिका और जापान जैसे देश पहले ही अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा मान चुके हैं और चीन की विस्तारवादी नीति की आलोचना कर चुके हैं।
सामरिक दृष्टिकोण से अहम है अरुणाचल
अरुणाचल प्रदेश न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक पहचान का प्रतीक है, बल्कि इसका सामरिक महत्व भी अत्यधिक है। यह क्षेत्र चीन के तिब्बत क्षेत्र से सटा हुआ है और भारतीय सेना के लिए रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। चीन इस क्षेत्र में स्थानीय जनजातियों की अस्मिता और संवेदनशीलता को भी नजरअंदाज कर रहा है। भारतीय नागरिकों और स्थानीय नेतृत्व ने भी चीन की इस हरकत की निंदा की है और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है।