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भारत ने चेनाब नदी पर सलाल डैम का गेट खोला: भारत-पाक संबंधों में फिर से हलचल

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भारत ने हाल ही में चेनाब नदी पर स्थित सलाल बांध (Salal Dam) का एक गेट खोला है, जिससे पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। यह कदम न केवल भारत की आंतरिक जल प्रबंधन नीति का हिस्सा है, बल्कि इसका सीधा प्रभाव भारत-पाकिस्तान के बीच चल रही सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) पर भी पड़ सकता है। पाकिस्तान ने इस मामले पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इससे उसके जल संसाधनों पर असर पड़ेगा। लेकिन भारत ने स्पष्ट किया है कि वह संधि की सभी शर्तों का पालन कर रहा है।

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सलाल बांध, जम्मू-कश्मीर के रियासी ज़िले में स्थित है और यह चेनाब नदी पर बना पहला बड़ा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट है। यह डैम साल 1987 से कार्यरत है और इसकी कुल क्षमता 690 मेगावाट है। चेनाब नदी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की प्रमुख जलधाराओं में से एक है, और इसी कारण पाकिस्तान हर बार भारत की किसी भी गतिविधि पर नज़र बनाए रखता है।

 

पिछले कुछ सालों से भारत ने सिंधु जल समझौते के तहत अपने हिस्से के पानी का अधिकतम उपयोग करने की नीति अपनाई है। चूंकि समझौते के तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों—रावी, ब्यास और सतलुज—का पूरा पानी उपयोग करने का अधिकार है, जबकि पश्चिमी नदियाँ—चेनाब, सिंधु और झेलम—पर सीमित अधिकार हैं, इसलिए भारत पश्चिमी नदियों पर बने प्रोजेक्ट्स को लेकर बहुत ही सटीक रणनीति के तहत काम कर रहा है।

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भारत ने पाकिस्तान को यह स्पष्ट किया है कि सलाल बांध से पानी छोड़ने का फैसला पूरी तरह से तकनीकी कारणों से लिया गया है, जिसमें बांध की सफाई, रखरखाव और पानी के स्तर को नियंत्रित करना शामिल है। यह भारत का अधिकार है कि वह अपने बांधों का संचालन मौसम और आवश्यकताओं के अनुसार करे।

 

हालांकि पाकिस्तान ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने की कोशिश की है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि भारत इस समझौते का उल्लंघन नहीं कर रहा। भारत की विदेश नीति और जल संसाधन मंत्रालय की तरफ से यह स्पष्ट किया गया है कि यह एक नियमित प्रक्रिया है, और इसमें कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है।

 

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भारत की जल नीति और रणनीतिक कदम

भारत अब अपनी जल नीति को और अधिक सख्त और व्यावहारिक बना रहा है। भारत का मानना है कि पड़ोसी देशों के साथ संतुलन बनाए रखते हुए उसे अपने संसाधनों का अधिकतम और कुशल उपयोग करना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने रावी और ब्यास जैसी नदियों का पानी पाकिस्तान में जाने से रोकने के लिए कई छोटे-बड़े बांधों और प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है। इसके अलावा, चेनाब और झेलम जैसी नदियों पर भी कई योजनाएँ बनाई जा रही हैं जो कि सिंधु जल संधि की सीमाओं के अंदर आती हैं।

 

पाकिस्तान की चिंता: हकीकत बनाम भ्रम

पाकिस्तान हर बार इन गतिविधियों को लेकर चिंता जताता है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत के कदम पूरी तरह से संधि के अनुरूप होते हैं। सलाल डैम का गेट खोलना भी एक नियमित प्रक्रिया है, जिसे बारिश के मौसम से पहले करने की आवश्यकता होती है ताकि बांध की क्षमता और सुरक्षा बनी रहे।

 

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निष्कर्ष:

भारत का यह कदम बताता है कि वह अब अपनी रणनीतिक स्थिति को लेकर ज्यादा सजग और सक्रिय है। सलाल डैम का गेट खोलना एक तकनीकी कदम हो सकता है, लेकिन इसका भू-राजनीतिक असर भी देखने को मिलेगा। आने वाले दिनों में भारत-पाक के बीच फिर से जल कूटनीति (Water Diplomacy) चर्चा का विषय बन सकती है।

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