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शत्रुघ्न सिन्हा का बड़ा बयान: “बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग राजनीति से प्रेरित, असंवैधानिक कदम होगा”

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1️⃣ बयान की पृष्ठभूमि

2️⃣ सिन्हा के मुख्य तर्क

 

मुद्दा सिन्हा की टिप्पणी
संवैधानिक प्रावधान धारा 356 ‘अंतिम विकल्प’ है, Supreme Court (SR Bommai केस) ने इसके सख्त मापदंड तय किए; बंगाल की स्थिति उस कसौटी पर नहीं उतरती।
कानून‑व्यवस्था “इक्का‑दुक्का घटनाओं” को बढ़ा‑चढ़ाकर पेश किया जा रहा; राज्य पुलिस ने त्वरित FIR और SIT बनाई है।
राजनीतिक कोण “राष्ट्रपति शासन की रट” लोकसभा‑24 अभियान का हिस्सा; लोगों को डराकर वोट ध्रुवीकरण की रणनीति।
संघीय ढाँचा केंद्र को चाहिए कि वह सहयोगी रवैया अपनाए, क्योंकि भारत ‘सहकारी संघवाद’ से चलता है, ‘कंट्रोल राज’ से नहीं।

3️⃣ विपक्ष को चुनौती

सिन्हा ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा:

“केंद्र अपनी असफलताओं को ढँकने के लिए बंगाल मॉडल पर उंगलियाँ उठा रहा है। अगर उनमें दम है तो चुनावी मैदान में लड़ें, चुनी हुई सरकार गिराने के लिए अनुच्छेद 356 का सहारा न लें।”

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4️⃣ तृणमूल कांग्रेस की तैयारी

5️⃣ विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

संवैधानिक विद्वानों के अनुसार—

6️⃣ राजनीतिक माहौल पर असर

7️⃣ जनता से अपील

शत्रुघ्न सिन्हा ने बंगाल के लोगों से कहा—

“अफवाहों पर भरोसा न करें, सोशल मीडिया पर फर्जी तस्वीरें शेयर न करें। शांति बनाए रखिए; कानून अपना काम कर रहा है।”

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