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संसद में अनोखा विरोध: ‘National Herald की लूट’ लिखा बैग लेकर पहुँची Bansuri Swaraj, कांग्रेस पर बोला तीखा हमला

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1️⃣ दृश्य जिसने सुर्खियाँ बटोरी

संसद शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन, गेट‑4 से प्रवेश करती बंसुरी स्वराज के हाथ में सफ़ेद‑लाल रंग का टोट बैग था, जिस पर मोटे अक्षरों में लिखा था—“NATIONAL HERALD की लूट”। मीडिया कैमरों ने तुरंत फ़्रेम कैद किया; सोशल मीडिया पर फ़ोटो‑वीडियो पल‑भर में वायरल हो गए।

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2️⃣ बंसुरी स्वराज का बयान

“यह बैग प्रतीक है उस 90 करोड़ की लूट का, जिसे गांधी परिवार से जुड़ी कंपनी ने ‘यंग इंडियन’ बनाकर अंजाम दिया। जनता को याद दिलाना होगा कि भ्रष्टाचार महज़ चार दीवारों के भीतर की कहानी नहीं, उनका हक़ छीने जाने की कहानी है।”

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पारिवारिक फंडिंग और ट्रस्ट संपत्तियों का उपयोग निजी स्वार्थ के लिए करती रही है—“इसे दिखाने के लिए किसी बड़ी रैली की नहीं, एक शांत मगर असरदार संदेश की ज़रूरत थी।”

3️⃣ विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया

4️⃣ सत्तापक्ष का बचाव

भाजपा नेता रमेश बिधूड़ी ने पलटवार किया—“उँगलियों से इशारा हो या बैग पर लिखी इबारत, दोनों अभिव्यक्ति हैं; कांग्रेस को दिक्कत सच से है।” संसद नियम पुस्तिका में “व्यक्तिगत पहनावे/सामान” पर सीधा प्रतिबंध नहीं, बैनर‑पोस्टर पर है—इस तकनीकी तर्क से भाजपा ने कार्रवाई की मांग को हल्का बताने की कोशिश की।

5️⃣ नेशनल हेराल्ड केस की ताज़ा स्थिति

6️⃣ संसदीय परिपाटी पर सवाल

संसद विशेषज्ञों की राय—

7️⃣ सोशल मीडिया और जन‑प्रतिक्रिया

8️⃣ आगे का रास्ता

लोकसभा सचिवालय अगर वस्तु‑आधारित प्रदर्शन को नियम‑विपरीत माने तो बंसुरी स्वराज पर चेतावनी या बैग जब्ती संभव; अन्यथा विपक्ष स्वतः ‘सूचित ध्यानाकर्षण’ नोटिस ला सकता है।


निष्कर्ष
‘National Herald की लूट’ लिखे बैग से खड़े हुए दृश्य ने एक बार फिर साबित किया कि संसद सिर्फ कानून‑निर्माण का मंच नहीं, राजनीतिक प्रतीकों की रंगशाला भी है। चाहे इसे शोमैनशिप कहें या शॉक‑टैक्टिक्स, मुद्दा वही पुराना—कांग्रेस‑भाजपा की भ्रष्टाचार बनाम प्रतिशोध की लड़ाई—लेकिन माध्यम ने सत्र के ठंडे माहौल में गरमाहट भर दी है।

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