पहलगाम हमले पर चन्नी का बड़ा बयान: “सबूत दो, सिर्फ नारे नहीं”
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। देशभर में गुस्से और दुख की लहर है। इस बीच पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने केंद्र सरकार से बड़ा सवाल करते हुए कहा है कि “अगर आपने सर्जिकल स्ट्राइक की है तो उसके ठोस सबूत जनता के सामने रखें।” चन्नी ने कहा कि केवल टीवी कैमरों और भाषणों में आतंकवाद से लड़ने की बात करना पर्याप्त नहीं है, देश को प्रमाणिक कार्रवाई चाहिए।
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उन्होंने कहा कि “हर बार जब कोई आतंकी हमला होता है, सरकार एक ही तरह का बयान देती है – ‘बदला लिया जाएगा’, ‘सख्त कार्रवाई होगी’। लेकिन जनता अब केवल वादों से नहीं, नतीजों से संतुष्ट होगी।”
केंद्र सरकार की नीति पर उठाए सवाल
चन्नी ने मोदी सरकार की आतंकवाद नीति पर सीधा हमला करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में घाटी में सुरक्षा व्यवस्था की विफलता कई बार उजागर हुई है। उन्होंने कहा, “अगर सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक की है, जैसा वह दावा करती है, तो उसे इसके वीडियो, डिटेल्स और परिणाम जनता के सामने पेश करने चाहिए।”
उन्होंने कहा कि पारदर्शिता लोकतंत्र की ताकत होती है, और अगर सरकार के पास सबूत हैं, तो उन्हें छुपाने का कोई कारण नहीं है। चन्नी ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार कई बार सुरक्षा के मुद्दे को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करती है।
‘देश की सुरक्षा राजनीतिक मुद्दा नहीं हो सकता’
चरणजीत सिंह चन्नी ने साफ तौर पर कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी पार्टी की नहीं, बल्कि पूरे देश की है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वह इस गंभीर मसले पर एकजुट होकर सरकार पर जवाबदेही तय करें, और साथ ही केंद्र से भी आग्रह किया कि वह राष्ट्रहित में सच्चाई को सामने लाए।
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चन्नी ने यह भी कहा कि, “हमारे जवानों की शहादत को चुनावी भाषणों में सीमित कर देना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। अगर सर्जिकल स्ट्राइक जैसी बड़ी कार्रवाई हुई है तो उसकी वैधानिक और सार्वजनिक पुष्टि जरूरी है।”
विपक्ष ने किया चन्नी के बयान का समर्थन
कांग्रेस समेत कई विपक्षी नेताओं ने चरणजीत सिंह चन्नी के बयान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि सरकार को पारदर्शिता बरतनी चाहिए और देश की सुरक्षा को लेकर जनता को अंधेरे में नहीं रखा जाना चाहिए। चन्नी ने सरकार से यह भी सवाल किया कि अगर आतंकियों को रोका जा रहा है तो हर साल हम इतने बड़े हमलों के शिकार क्यों हो रहे हैं?
उन्होंने केंद्र से राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की समीक्षा की मांग भी की और कहा कि आतंकी घटनाओं से निपटने के लिए जमीनी स्तर पर बदलाव ज़रूरी हैं।