सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार और आतंकवाद पर सख्ती की मांग: बृजभूषण शरण सिंह
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने एक बार फिर पाकिस्तान को लेकर सरकार से सख्त रुख अपनाने की अपील की है। इस बार उनका बयान सिंधु नदी पर बैन लगाने और पहलगाम आतंकी हमले को लेकर आया है, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान को भारत की सहनशीलता की परीक्षा न लेने की चेतावनी दी। सिंह ने कहा कि “जब तक हम पानी जैसी मूलभूत जरूरतों पर नियंत्रण नहीं करेंगे और आतंकवाद पर निर्णायक कार्रवाई नहीं करेंगे, तब तक पाकिस्तान की हिमाकतें बढ़ती रहेंगी।”
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बृजभूषण शरण सिंह ने सिंधु जल समझौते को लेकर कहा कि यह 1950 के दशक की नीति थी जो अब बदलने का समय आ गया है। उन्होंने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वह सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार करे और भारत के हिस्से के जल को देश के उपयोग के लिए आरक्षित करे। उन्होंने कहा, “भारत की जनता अब यह बर्दाश्त नहीं करेगी कि हम अपना पानी पाकिस्तान को दें और बदले में हमें आतंकवाद मिले।”
पहलगाम हमले पर तीखी प्रतिक्रिया
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले को लेकर बृजभूषण सिंह बेहद आक्रोशित नजर आए। उन्होंने इसे भारत की संप्रभुता पर हमला करार देते हुए कहा कि सरकार को न केवल आतंकियों को मार गिराना चाहिए बल्कि जो ताकतें उनके पीछे हैं, उन्हें भी सबक सिखाना चाहिए। सिंह ने कहा कि, “अब वक्त आ गया है कि पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुलकर बात की जाए। भारत को चाहिए कि वह संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करने की मांग उठाए।”
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को घाटी में सुरक्षा एजेंसियों को पूरी छूट देनी चाहिए ताकि वे आतंकियों और उनके मददगारों को जड़ से खत्म कर सकें। बृजभूषण शरण सिंह का मानना है कि जब तक आतंकियों को संरक्षण देने वाले नेताओं और संस्थानों को खत्म नहीं किया जाएगा, तब तक स्थायी शांति संभव नहीं है।
विपक्ष को चेतावनी
सिंह ने इस मुद्दे पर राजनीति करने वाले विपक्षी दलों को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि “यह वक्त राजनीति करने का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता दिखाने का है।” उन्होंने विपक्ष से अपील की कि वह आतंकवाद के खिलाफ सरकार को पूरा समर्थन दे और देश की सुरक्षा को प्राथमिकता दे।
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नीति और रणनीति में बदलाव की जरूरत
बृजभूषण शरण सिंह ने यह स्पष्ट किया कि भारत को अब अपनी जल और सुरक्षा नीति में बदलाव लाने की जरूरत है। उन्होंने सुझाव दिया कि सिंधु जल समझौते को स्थगित कर, जम्मू-कश्मीर, पंजाब और हरियाणा में जल प्रबंधन को बेहतर किया जाए। साथ ही, आतंकी घटनाओं का जवाब सिर्फ सैनिक कार्रवाई से नहीं, बल्कि कूटनीतिक और आर्थिक प्रतिबंधों से भी दिया जाए।