हैदराबाद/नई दिल्ली – तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। इस फैसले के बाद राज्य की राजनीति गरमा गई है और विपक्ष ने सरकार पर पर्यावरण की अनदेखी करने के गंभीर आरोप लगाए हैं।
पढ़ें :- PM मोदी @75: सेवा, समर्पण और संकल्प को राज्यों के सीएम का सलाम
क्या है पूरा मामला?
हैदराबाद में एक बड़ी सड़क परियोजना के तहत सैकड़ों पुराने पेड़ों को काटने की योजना पर काम चल रहा था। पर्यावरण कार्यकर्ताओं और स्थानीय नागरिकों ने इसपर सवाल उठाए और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार को लताड़ते हुए कहा कि,
“आप विकास के नाम पर प्राकृतिक संपदा को नष्ट नहीं कर सकते। पेड़ सिर्फ हरियाली नहीं, जीवन हैं।“
सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार से पूछा कि क्या उसने वैकल्पिक मार्गों या विकल्पों पर विचार किया? साथ ही कोर्ट ने सरकार से उस पर्यावरणीय मंजूरी की प्रति भी मांगी, जिसके आधार पर पेड़ों की कटाई की जा रही थी।
कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर इस तरह की कार्रवाई बिना वैज्ञानिक सलाह और अनुमोदन के जारी रही, तो राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
पढ़ें :- India Vs Pakistan: ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार आमने-सामने, देखें बड़ा मुकाबला
राजनीति में बढ़ी हलचल
कोर्ट की टिप्पणी के बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया। कांग्रेस और भाजपा ने कहा कि यह सरकार की “विकास के नाम पर विनाश” की नीति को उजागर करता है।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा,
“तेलंगाना की सरकार पर्यावरण को खत्म कर सिर्फ चुनावी स्टंट कर रही है। सुप्रीम कोर्ट की फटकार ने सच्चाई सामने ला दी है।”
वहीं कांग्रेस ने कहा कि सरकार को “हरित नीति” को प्राथमिकता देनी चाहिए थी, लेकिन उसने मुनाफे और ठेकेदारों के दबाव में काम किया।
पर्यावरण कार्यकर्ताओं की चेतावनी
सामाजिक संगठनों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने पहले ही इस प्रोजेक्ट का विरोध किया था। उनका कहना है कि हैदराबाद जैसे महानगरों में पेड़ों की संख्या पहले से ही घट रही है, और अगर यह कटाई जारी रही तो शहर को “हीट आइलैंड” बनने से कोई नहीं रोक सकता।
पढ़ें :- सोशल मीडिया बैन, लेकिन PM सोशल मीडिया से! नेपाल की राजनीति का सबसे बड़ा प्लॉट ट्विस्ट
ग्रीन इंडिया मिशन से जुड़े एक कार्यकर्ता ने कहा,
“पेड़ काटने के बजाय ट्रांसप्लांटेशन तकनीक या वैकल्पिक मार्ग अपनाना चाहिए था।”
सरकार का पक्ष
राज्य सरकार ने बचाव में कहा है कि यह परियोजना जनहित में है और शहर के ट्रैफिक को सुधारने के लिए अनिवार्य है। उन्होंने दावा किया कि काटे गए पेड़ों के बदले में 10 गुना ज्यादा पौधरोपण किया जाएगा।
परंतु कोर्ट और जनता दोनों ही इस दावे से संतुष्ट नहीं दिखे।
सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा
इस पूरे मामले ने सोशल मीडिया पर भी तूफान ला दिया है। ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर #SaveHyderabadTrees, #SupremeCourtSlamsGovt, #ClimateJustice और #HyderabadEnvironment ट्रेंड कर रहे हैं।
लोगों ने सरकार की नीतियों को “विकास की आड़ में विनाश” करार दिया है। कई यूज़र्स ने पुराने पेड़ों की अहमियत पर जोर देते हुए उनकी सुरक्षा की मांग की है।