भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) विवाद को सुलझाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हाल ही में हुई द्विपक्षीय मुलाकात के बाद संकेत मिल रहे हैं कि दोनों देश अब अपने रिश्तों को सामान्य करने की दिशा में गंभीर हैं।
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तीन चरणों में होगा समाधान
सूत्रों के अनुसार, एलएसी विवाद को सुलझाने के लिए तीन चरणों में प्रक्रिया अपनाई जाएगी:
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सीमा पर सैन्य तनाव में कमी
दोनों देशों की सेनाएं चरणबद्ध तरीके से पीछे हटेंगी। संवेदनशील इलाकों से सैनिकों को हटाकर स्थिति को डी-एस्केलेट किया जाएगा। इस दौरान एक दूसरे के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए संयुक्त निगरानी तंत्र बनाने की भी योजना है।
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राजनयिक संवाद और विश्वास बहाली
सेना स्तर की बातचीत के साथ-साथ राजनयिक चैनलों को भी सक्रिय किया जाएगा। दोनों देश विश्वास बहाली के लिए संयुक्त बयान, साझा अभ्यास और उच्च स्तरीय वार्ताएं करेंगे।
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स्थायी समाधान की दिशा में कदम
आखिरी चरण में सीमा विवाद से जुड़ी जटिल समस्याओं को हल करने के लिए दीर्घकालिक समझौता तैयार किया जाएगा। इसके लिए विशेष प्रतिनिधियों की नियुक्ति और एक संयुक्त कार्यबल का गठन किया जा सकता है।
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क्यों अहम है यह पहल?
- विवाद का असर केवल सैन्य रिश्तों पर नहीं, बल्कि व्यापार और कूटनीति पर भी पड़ रहा था।
- भारत-चीन व्यापार सालाना 100 अरब डॉलर से ज्यादा का है, जिसे स्थिर रिश्तों की ज़रूरत है।
- एशिया में शांति और स्थिरता के लिए दोनों देशों का सहयोग अनिवार्य माना जाता है।
अब आगे क्या?
विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह तीन-चरणीय प्रक्रिया सफल होती है, तो भारत और चीन एक नई शुरुआत कर सकते हैं। हालांकि, जमीन पर भरोसा और कार्रवाई सबसे अहम साबित होंगे।