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पल-पल की राजनीतिः AAP ने दिया समान नागरिक संहिता को समर्थन, विपक्षी एकता की मुहिम को झटका

By Rajni 

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नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) ने विपक्षी दलों का भरोसा तोड़ते हुए समान नागरिक संहिता को समर्थन दे दिया है। आप संयोजक व दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के इस कदम ने विपक्षी नेताओं को सकते में डाल दिया है।

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UCC पर देश के हर वर्ग और समुदाय से व्यापक बातचीत होः केजरीवाल

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि केजरीवाल के फैसले से विपक्षी एकता की मुहिम कमजोर पड़ सकती है। जिसका सीधा लाभ भाजपा को मिल सकता है। समय-समय पर अरविंद केजरीवाल अपने अलग फैसले के लिए जाने जाते रहे हैं। आप ने कहा कि पार्टी समान नागरिक संहिता के समर्थन में है। लेकिन इसे लाने से पहले देश के हर वर्ग और हर समुदाय से व्यापक बातचीत की जानी चाहिए। सबके हितों-परंपराओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि देश में अलग-अलग संप्रदाय के लोग रहते हैं और अनेक आदिवासी समुदायों की परंपरा हमसे बहुत अलग है। ऐसे में कोई कानून लाने से पहले सभी से विचार-विमर्श करना आवश्यक है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब केजरीवाल ने अपना अलग स्टैंड रखा हो।

पहले भी राम मंदिर और संविधान के अनुच्छेद 370 पर किया था समर्थन 

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इसके पहले भी उन्होंने राम मंदिर और संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के मुद्दे का समर्थन किया था। इसके लिए उन्हें विपक्ष के दूसरे दलों का कड़ा विरोध भी झेलना पड़ा था। लेकिन अपनी राजनीति की अलग पिच तय करते हुए अरविंद केजरीवाल ने इन मुद्दों का समर्थन किया था।

पटना में उमर अब्दुल्ला ने विपक्षी दलों की एकता बैठक के दौरान भी अरविंद केजरीवाल पर इसी बात पर हमला बोला था कि उन्होंने धारा 370 की समाप्ति पर इसे देशहित में लिया गया फैसला बताया था। लेकिन आज जब उनके खिलाफ दिल्ली अध्यादेश का मामला आ गया है तब वे सभी विपक्षी दलों से इसके खिलाफ समर्थन मांग रहे हैं। इसी कारण अरविंद केजरीवाल को विपक्षी दलों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाया था।

आम आदमी पार्टी ने अपना चरित्र ऐसा बनाया हुआ है कि वह राष्ट्रीय मुद्दों पर तो केंद्र का साथ देती हुई नजर आती है, तो हिंदुत्व के मुद्दे पर लोगों को अयोध्या के दर्शन भी करवाती है। यही कारण है कि भाजपा उन पर हिंदू विरोधी होने का आरोप अब तक कारगर तरीके से साबित नहीं कर पाई है।

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