लखनऊ। जातीय जनगणना मुद्दा लगातार गरमाता जा रहा है। कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन के तमाम दल जातीय जनगणना की मांग लगातार कर रहे हैं। मोदी सरकार इसके पक्ष में नहीं है। इस बीच केंद्र सरकार में मंत्री और अपना दल यस की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल का जातीय जनगणना को लेकर बड़ा बयान आया है अनुप्रिया पटेल इंडिया गठबंधन से सुर मिलते दिखाई दे रहे हैं जिसके बाद मोदी सरकार की दिक्कतें और बढ़ती दिखाई दे रही है। पटेल कहा कि दबे-कुचले और वंचित समाज को भी उनका हक सम्मान और भागीदारी बिलकुल मिलनी चाहिए। और ये सिर्फ जातीय जनगणना के आधार पर ही संभव हो पाएगा।
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उन्होंने कहा किसी भी दबे-कुचले हाशिए पर पड़े हुए जाति समूह को अगर अधिकार सम्मान और भागीदारी सुनिश्चित करनी है तो उसकी संख्या का अधिकृत आंकड़ा होना ही चाहिए। ये केवल जातीय जनगणना से ही संभव है।
अनुप्रिया पटेल ने आउटसोर्सिंग की तुलना कैंसर जैसी बीमारी से की उन्होंने कहा कि आउटसोर्सिंग को कैंसर की बीमारी से भी गंभीर बताया और कहा कि इसमें आरक्षण के नियमों का पालन नहीं होता है पहले जहां दबे-कुचले समाज के लोगों को चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती मिल जाती था अब आउटसोर्सिंग की वजह से ये भी बंद हो गया है और ऐसे समाज के लोग अपने हक के लिए लगातार वंचित होते जा रहे हैं।
इससे पहले भी अनुप्रिया पटेल ने सीएम योगी को चिट्ठी लिखकर आउटसोर्सिंग में पिछले और एससी एसटी समाज के साथ भेदभाव का आरोप लगा चुकी हैं उन्होंने कहा कि इन समाज के लोगों को सो नॉट फ़ाउंड सूटेबल के नाम पर अलग कर दिया जाता है और उनकी जगह किसी और को नौकरी दे दी जाती है।