दिल्ली का मौसम इस समय कहानी कह रहा है—तेज़ बारिश, सड़कों पर पानी और ऊपर से ठंडी हवा। लेकिन इन बूंदों के बीच राजनीतिक गलियारों में गर्मजोशी अपने चरम पर है। सोचना भी पड़ेगा, जब बारिश का मौसम हो तो “चाय पर चर्चा” तो बनती ही है। और इस बार यह चाय कुछ खास है। बिहार के बड़े मंत्री और नेता दिल्ली पहुँच रहे हैं, क्योंकि अमित शाह ने राजधानी में एक हाई-प्रोफाइल बैठक बुलाई है।
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अब आप सोच रहे होंगे, इस बैठक का मेन्यू क्या है? तो ज़रा गौर कीजिए:
- सबसे पहले बिहार चुनाव की बारीक तैयारियाँ।
- फिर उम्मीदवारों का चयन और सीटों का बंटवारा।
- और हाँ, गठबंधन के भीतर तालमेल की नब्ज़ भी टटोली जाएगी।
- साथ ही, राहुल गांधी और विपक्षी गठबंधन की हलचलों का जवाबी प्लान भी टेबल पर रखा जाएगा।
मतलब साफ़ है, विपक्ष अगर चाल चलेगा तो एनडीए पहले से ही उसका तोड़ लेकर तैयार बैठेगा। यही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार दौरा भी लगभग फाइनल हो चुका है। और यह दौरा सिर्फ़ भाषण या योजनाओं के शिलान्यास तक सीमित नहीं रहेगा। मोदी अपने अंदाज़ में जनता से सीधे जुड़ेंगे, योजनाओं की उपलब्धियाँ गिनाएँगे और विपक्ष के आरोपों का करारा जवाब देंगे। जिस तरह बारिश दिल्ली को ठंडक देती है, उसी तरह मोदी का दौरा बिहार की उमस भरी राजनीति को गरमा देने वाला है।
सवाल ये भी उठता है कि ये शाह की रणनीति और मोदी का दौरा साथ में क्यों? तो इसका जवाब आसान है, भाजपा अब ‘फुल फ्लेज्ड कैंपेन मोड’ में प्रवेश कर चुकी है। शाह का दिल्ली वाला मास्टरस्ट्रोक और मोदी का बिहार वाला पावर शो मिलकर विपक्ष को साफ़ संदेश दे रहे हैं कि लड़ाई आसान नहीं होगी।
दिल्ली की चाय हो या बिहार का चुनावी समोसा, स्वाद तभी आता है जब मसाले तगड़े हों। और इस बार भाजपा अपने मसालों की पूरी थाली लेकर मैदान में उतर रही है। विपक्ष चाहे जितने भी नारे लगाए, चाहे कितने भी वादे करे, मगर शाह और मोदी की जोड़ी के सामने उनकी राह बिल्कुल आसान नहीं रहने वाली।
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तो तय मानिए, बिहार की सियासत में मौसम चाहे बारिश का हो या धूप का, माहौल गरमाने वाला है। और जब शाह की रणनीति और मोदी की जोशभरी मौजूदगी साथ आएगी, तो चुनावी मैदान में नज़ारा वाकई चटपटा होगा।