विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल दिल्ली में अब ध्वनि प्रदूषण भी खतरनाक स्तर पर पहुंचने लगा है.काफी इलाकों में यह घटता- बढ़ता रहता है जबकि कुछ इलाकों में लगातार उच्च स्तर पर ही दर्ज किया जा रहा है. इसकी वजह से इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग परेशान है. निरंतर शोर में रहने की वजह से लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी हो रही हैं.
पढ़ें :- दिल्ली छात्र संघ चुनाव में ABVP ने मारी बाज़ी: 4 में से 3 सीटों पर कब्जा, एक सीट NSUI को
दिल्ली पुलिस ने तो हाल ही में प्रेशर हार्न का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ अभियान भी शुरू किया है. अधिकारियों के अनुसार अब रिहायशी इलाकों में शोर की कई वजह हैं, ट्रैफिक के अलावा फेरी वाले भी लाउड स्पीकर लगाकर अपना व्यवसाय करने लगे हैं. रिहायशी क्षेत्रों के आसपास बाजार होने की वजह से वहां पर भीड़ व ट्रैफिक दोनों ही बढ़ने लगे हैं.
डीपीसीसी के निगरानी केंद्रों के अनुसार राजधानी के सबसे अधिक शोर वाले इलाकों में करोल बाग (सुबह 7 से रात 10 बजे तक), शाहदरा (सुबह 6 से रात 11 बजे तक), लाजपत नगर (सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक, शाम 6 से आठ बजे तक), द्वारका (सुबह 7 से दोपहर 2 बजे तक, शाम छह से आठ बजे तक) गंभीर स्तर का ध्वनि प्रदूषण झेल रहे हैं.यहां पर इसका स्तर 60 से 68 डीबी तक दर्ज किया जा रहा .
आपको बतादें कि ध्वनि प्रदूषण की स्वीकृत सीमा (डीबी-डेसिबल में) औद्योगिक क्षेत्र में 75 डीबी (दिन), 70 डीबी (रात)होना चाहिए,वंही व्यावसायिक क्षेत्र में 65 डीबी (दिन), 55 डीबी (दिन) होना चाहिए,आवासीय क्षेत्र की बात करें तो वंहा 55 डीबी (दिन), 45 डीबी (दिन) तय मानक हैं, साइस जोन (अस्पताल-स्कूल इत्यादि के आसपास) में तो 50 डीबी (दिन), 40 डीबी (रात) ही होना चाहिए.