नई दिल्ली, 04 फ़रवरी। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत देश में 15 करोड़ से अधिक राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पहचान पत्र बनाए गए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने शुक्रवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में ये जानकारी दी।
पढ़ें :- PM मोदी @75: सेवा, समर्पण और संकल्प को राज्यों के सीएम का सलाम
More than 15 Crore National Digital Health IDs created under Ayushman Bharat Digital Mission
Read here: https://t.co/odbezImIUw#ParliamentQuestion pic.twitter.com/7bTp2Sx40q
— PIB India (@PIB_India) February 4, 2022
पढ़ें :- India Vs Pakistan: ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार आमने-सामने, देखें बड़ा मुकाबला
गौरतलब है कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पहचान पत्र बनाने की योजना 15 अगस्त, 2020 को शुरू की गई थी। ये पायलट योजना के रूप में पहले 6 केंद्र शासित प्रदेशों से शुरू की गई थी। इसमें अंडमान और निकोबार, चंडीगढ़, दादरा-नगर हवेली, दमन और दीव, लद्दाख, लक्षद्वीप और पुडुचेरी शामिल थे। फिर 27 सितंबर 2021 को ये योजना पूरे राष्ट्र में लागू की गई।
क्या हैं हेल्थ कार्ड के लाभ ?
राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य ID का सबसे बड़ा फायदा ये है कि जब आप डॉक्टर के पास स्वास्थ्य की जांच के लिए जाएंगे तो फाइल ले जाने से छुटकारा मिल गया है। डॉक्टर या अस्पताल रोगी की यूनिक हेल्थ ID देखकर उसका पूरा डेटा निकाल लेते हैं। उसी आधार पर आगे का इलाज भी शुरू करते हैं। हेल्थ ID बनाना स्वैच्छिक है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण नागरिकों की भागीदारी को अधिकतम करने के लिए स्वास्थ्य ID के उपयोग और लाभों के बारे में नागरिकों के बीच जागरूकता पैदा कर रहा है।
Bed Strength and Infrastructural Facilities under Ayushman Bharat Yojana
Read here: https://t.co/VRpRPLu9L8#ParliamentQuestion pic.twitter.com/StJgK9LZfo
पढ़ें :- सोशल मीडिया बैन, लेकिन PM सोशल मीडिया से! नेपाल की राजनीति का सबसे बड़ा प्लॉट ट्विस्ट
— PIB India (@PIB_India) February 4, 2022