नई दिल्ली। भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग के अंतर्गत विधिक माप विज्ञान विभाग, तौल और माप उपकरणों में सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करता है जिससे उपभोक्ता हितों की रक्षा होती है। मानव और पशु शरीर के तापमान को मापने के लिए डिज़ाइन किए गए क्लिनिकल इलेक्ट्रिकल थर्मामीटर के मानकीकरण और सटीकता को बढ़ाने के लिए, मसौदा नियम प्रस्तावित किए गए हैं। इन नियमों का उद्देश्य ऐसे उपकरणों के लिए मौजूदा नियमों को संशोधित करना है। यह उपकरण बुखार और हाइपोथर्मिया जैसे रोगों के निदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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विभाग द्वारा गठित एक समिति द्वारा तैयार किए गए नियमों को सार्वजनिक परामर्श के लिए 29 नवंबर को विभाग की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया था। हितधारकों और जनता को 30 दिसंबर तक अपनी टिप्पणियां और सुझाव प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया गया है।
सार्वजनिक और हितधारकों के फीडबैक की समीक्षा के बाद अंतिम रूप दिए जाने के बाद ये नियम क्लिनिकल इलेक्ट्रिकल थर्मामीटर की सटीकता और विश्वसनीयता को मानक बना देंगे। इन प्रावधानों में इन उपकरणों के सत्यापन और मुहर लगाने को अनिवार्य किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे निर्धारित मानकों के अनुरूप हैं जिससे मनुष्यों और जानवरों के स्वास्थ्य और कल्याण की रक्षा हो सके।
इन थर्मामीटरों का घरों, स्वास्थ्य सुविधाओं और विभिन्न उद्योगों में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। प्रस्तावित नियमों का उद्देश्य उनके मापों में विश्वास को बढ़ाना है। यह सुनिश्चित करना है कि निदान और उपचार के निर्णय विश्वसनीय डेटा पर आधारित हों। यह पहल उपभोक्ता सुरक्षा को मजबूत करने और शरीर के तापमान के माप में एकरूपता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।