एनसीआरटी (NCERT) की किताबों से कुछ चैप्टर हटाये जाने को लेकर विवाद छिड़ हुआ है..लेकिन इसी बीच एनसीआरटी (NCERT) के निदेशक प्रोफेसर दिनेश प्रसाद सकलानी का बयान सामने आया है. उन्होने कहा की, सिलेबस में ऐसा कोई चैप्टर नहीं हटाया गया है..जो बच्चों के लिए आवशयक था. पर हां कुछ ऐसे चैप्टर सिलेबस से जरुर हटायें गये हैं. जो बच्चों को पढाने के लिए आवश्यक नहीं था. वो भी ये बदलाव कोरोना के बाद इसलिए किये गये. ताकी बच्चों पर लोड कम हो सके. बता दें की, ये बदलाव 2022 में ही कर दिये गये थे. पर किसी वजह से मार्केट में छप कर नहीं आये पाये थे. अब एनसीआरटी (NCERT) का नया शैक्षणिक सत्र (2023-2024) के साथ किया जा रहा है…
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एनसीआरटी पर विवाद में क्यों
उत्तरप्रदेश में हर तरफ एनसीआरटी में बदलाव को लेकर चर्चायें हैं. चर्चा इसलिए क्यों की, एनसीआरटी की 11वीं और 12वीं की किताबों से मुगलों के चैप्टर को हटा दिया गया है. अब यूपी के छात्र मुगलों का इतिहास नहीं पढ़ पायेंगे. कुछ इतिहासकारों का कहना है की अगर आप छात्रों को मुगलों का इतिहास नहीं पढ़ायेंगे तो फिर सिलेबस में पढ़ाने को रहेगा क्या. जिस पर एनसीआरटी (NCERT) के निदेशक प्रोफेसर दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा की, हमने वो ही चैप्टर हटाये हैं. जो पहले की कक्षा में पढ़ा दिये गये हैं. और इसके साथ ही उन्होने कहा की, ये बदलाव सिर्फ इतिहास या राजनीति की ही किताब में नहीं किया गया. बल्कि हिंदी, गणित, नीतिशासत्र और अंग्रेजी के भी सिलेबस में बदलाव किया गया.
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कौन से चैप्टर हटाये गये.
एनसीआरटी के मुताबिक, 12वीं और 11वीं कि किताबों से मुगलदरबार के शासकों से संबधित चैप्टर को हटा दिया गया है. साथ ही महात्मा गांधी , नाथूराम गोडसे और आएसएस के कुछ चैप्टर को भी हटा गये. वहीं 10वीं के सिलेबस में भी कुछ चैप्टर गये हटायें…