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दिल्ली और गुरुग्राम में मूसलाधार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त, बाढ़ का खतरा गहराया

By HO BUREAU 

Updated Date

Heavy rains in Delhi and Gurgaon have disrupted life

बचाव और राहत के लिए बड़ी संख्या में रेस्क्यू बोट्स, पंप और सैंडबैग्स तैनात किए गए हैं। वहीं, नगर निगम ने नियंत्रण कक्ष सक्रिय कर दिया है और नालों की सफाई तथा अतिरिक्त पंपिंग व्यवस्था की है ताकि पानी जल्दी निकाला जा सके।

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दूसरी ओर, गुरुग्राम में स्थिति और भी चिंताजनक है। कुछ ही घंटों की तेज बारिश ने मुख्य सड़कों को तालाब में बदल दिया। जगह-जगह पानी भरने से वाहन फँस गए, लंबा जाम लग गया और लोगों को घंटों परेशान होना पड़ा। हालात को देखते हुए कई स्कूलों ने ऑनलाइन कक्षाएँ शुरू कर दीं और कंपनियों ने कर्मचारियों को घर से काम करने की सलाह दी। मौसम विभाग ने शहर के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जिससे आने वाले दिनों में और परेशानी बढ़ सकती है।

उत्तर भारत के अन्य राज्य जैसे हिमाचल, उत्तराखंड और पंजाब भी इस समय बारिश और भूस्खलन की मार झेल रहे हैं, जिससे परिवहन और दैनिक जीवन पर गंभीर असर पड़ा है।

बारिश हर साल संकट क्यों बन जाती है?

दिल्ली और गुरुग्राम जैसे शहरों में बारिश से बाढ़ की समस्या केवल प्राकृतिक नहीं, बल्कि शहरीकरण से जुड़ी भी है। तेजी से फैलते कंक्रीट जंगल, सूखते तालाब और अवरुद्ध नाले पानी की निकासी को असंभव बना देते हैं। जिस ज़मीन को पानी सोखना चाहिए था, वहाँ अब पक्के निर्माण खड़े हैं, नतीजतन थोड़ी देर की बारिश भी जलजमाव में बदल जाती है।

सरकार के लिए समाधान के रास्ते

केवल आपातकालीन इंतज़ाम काफी नहीं हैं, दीर्घकालिक योजनाएँ भी बनानी होंगी:

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ड्रेनेज नेटवर्क का आधुनिकीकरण- वर्तमान जल निकासी व्यवस्था पुरानी और अपर्याप्त है। आधुनिक तकनीक से इसे पूरी तरह नया रूप देना होगा।

तालाब और झीलों का पुनर्जीवन- जलभराव रोकने के लिए पुराने तालाब और प्राकृतिक वेटलैंड्स को पुनर्स्थापित करना ज़रूरी है।

नियोजित विकास- नालों और बाढ़ क्षेत्र पर अवैध निर्माण पर रोक और नए प्रोजेक्ट्स में जलवायु-संवेदनशील योजना को अनिवार्य करना चाहिए।

समय रहते चेतावनी प्रणाली- रीयल-टाइम डेटा आधारित अलर्ट से लोगों को पहले ही सचेत किया जा सकता है।

जन-सहभागिता- नागरिकों को तैयार रखने के लिए जागरूकता अभियान और स्थानीय स्तर पर बचाव दलों का गठन ज़रूरी है।

हरित आधारभूत ढाँचा- वर्षा जल संग्रहण, खुले हरित क्षेत्र और पानी सोखने वाली सड़कों का विकास करना होगा।

निष्कर्ष

इस बार की बारिश ने साफ कर दिया है कि समस्या सिर्फ मौसम की नहीं है, बल्कि शहरी योजना की कमियों की भी है। अगर सरकार और प्रशासन लंबे समय के लिए ठोस कदम नहीं उठाते तो दिल्ली और गुरुग्राम जैसे शहर हर मानसून इसी तरह संकट में घिरे रहेंगे।

 

सपन 

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